अहमदाबाद, 28 अप्रैल। गुजरात में एक बार फिर सियासत गरमा उठी, जब कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी पर 27 हजार करोड़ रुपये के भूमि घोटाले का आरोप लगा दिया। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि रूपाणी ने सूरत में, सरकार की शहरी विकास योजना के तहत निकाय सुविधाओं के लिए आरक्षित भूमि का एक बड़ा हिस्सा बिल्डरों को दे दिया।
भाजपा सरकार ने आरोपों को बताया आधारहीन
हालांकि भूपेंद्र भाई पटले के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन आरोपों को आधारहीन बताया। पार्टी ने कहा कि 2035 के लिए सूरत शहरी विकास प्राधिकरण (एसयूडीए) योजना को मंजूरी देने के दौरान कानूनी प्रावधानों और लोगों द्वारा दिए गए ज्ञापनों का ध्यान रखा गया था।
अर्जुन मोडवाडिया का आरोप – आरक्षित भूमि का बड़ा हिस्सा बिल्डरों को दे दिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोडवाडिया ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री रूपाणी ने, जिनके पास तत्कालीन शहरी विकास मंत्रालय का भी प्रभार था, एसयूडीए की योजना में बदलाव कर निकाय सुविधाओं के लिए आरक्षित भूमि की राशि कम कर दी थी। एसयूडीए की विकास योजना-2035 एक सलाहकार समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई थी और उसे सरकार की मंजूरी के लिए सौंपा गया था।
मोडवाडिया ने दावा किया कि तत्कालीन सीएम रूपाणी ने 12 नवंबर, 2019 को नोट पर हस्ताक्षर किए थे और 2035 के लिए एसयूडीए द्वारा बनाई गई विकास योजना के तहत सार्वजनिक कार्य के लिए आरक्षित करने के वास्ते प्रस्तावित 1.66 करोड़ वर्ग मीटर भूमि में से केवल 75.35 लाख वर्ग मीटर जमीन को आरक्षित करने का ही निर्देश दिया। लगभग 90 लाख वर्ग मीटर जमीन बिल्डरों को वापस दे दी गई, जिसका मूल्य लगभग 27 हजार करोड़ रुपये था।