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गुजरात : सीएम भूपेंद्रभाई पटेल ने 13 लाख छात्रों को डीबीटी के जरिए दीं 370 करोड़ रुपये की छात्रवृत्तियां

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गांधीनगर, 13 दिसम्बर। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने शुक्रवार को राज्य की प्रमुख शिक्षा योजनाओं – नमो लक्ष्मी, नमो सरस्वती विज्ञान साधना, मुख्यमंत्री ज्ञान साधना मेरिट स्कॉलरशिप और मुख्यमंत्री ज्ञान सेतु मेरिट स्कॉलरशिप के तहत आयोजित छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने बालिकाओं की शिक्षा को दी नई दिशा और गति

सीएम भूपेंद्र पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने देशभर में बालिकाओं की शिक्षा को नई दिशा और गति दी है। उन्होंने स्मरण किया कि प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए शुरू किए गए स्कूल प्रवेशोत्सव और कन्या केलवणी महोत्सव जैसे अभियानों ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाया और परिवारों में बेटियों की शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाई।

उन्होंने कहा कि गुजरात ने केजी से पीजी तक निरंतर, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार किया है। शिक्षा को राज्य और देश के विकास की आधारशिला बताते हुए मुख्यमंत्री ने छात्रों से समर्पण भाव से ज्ञान अर्जित करने तथा भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर गर्व करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति आने वाले वर्षों में विकसित गुजरात, आत्मनिर्भर गुजरात, विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

पिछले दो दशकों में गुजरात की शिक्षा अवसंरचना में तेजी से विस्तार

सीएम पटेल ने बताया कि पिछले दो दशकों में गुजरात की शिक्षा अवसंरचना में तेजी से विस्तार हुआ है। स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक राज्य में एक मजबूत तंत्र विकसित किया गया है। स्कूल प्रवेशोत्सव, उन्नत कक्षाएं, डिजिटल टूल्स, स्मार्ट स्कूल, बेहतर शिक्षक भर्ती और कौशल-आधारित शिक्षा के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यापक पहुंच सुनिश्चित की गई है।

शिक्षा को उद्योगोन्मुख और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान

उच्च शिक्षा के स्तर पर भी राज्य में विश्वविद्यालयों, मॉडल कॉलेजों, स्किल यूनिवर्सिटीज़ और विशेष इंजीनियरिंग, मेडिकल एवं शोध संस्थानों का सशक्त नेटवर्क विकसित हुआ है। नमो लक्ष्मी, नमो सरस्वती और विभिन्न मेरिट स्कॉलरशिप योजनाओं ने विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा में निरंतरता और पहुंच बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा हॉस्टल सुविधाओं, एसटीईएम लैब्स, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत बढ़ते निवेशों ने शिक्षा को उद्योगोन्मुख और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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