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गुजरात एटीएस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिया, पूर्व एडीजीपी आरबी श्रीकुमार गिरफ्तार

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मुंबई/अहमदाबाद, 25 जून। गुजरात एटीएस ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के मुंबई स्थित घर पर छापेमारी कर उन्हें हिरासत में लिया है। एटीएस टीम तीस्ता सीतलवाड़ को सांताक्रूज पुलिस स्टेशन ले गई और पूछताछ के लिए उन्हें अहमदाबाद ले जाने की तैयारी है। उधर, अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व अतिरिक्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ की भूमिका की जांच की जरूरत बताई थी

दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी थी। तीस्ता सीतलवाड़ उस याचिका में जाकिया जाफरी के साथ सह-याचिकाकर्ता थीं। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही गुजरात दंगों को लेकर एनजीओ प्रबंधक सीतलवाड़ की भूमिका की जांच की भी जरूरत बताई थी।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था, ‘तीस्ता सीतलवाड़ के पूर्ववृत्तों पर विचार करने की जरूरत है और इसलिए भी कि वह परिस्थितियों की असली शिकार जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण करके इस विवाद को अपने गुप्त डिजाइन के लिए प्रतिशोधी रूप से हवा दे रही हैं।’

गृह मंत्री अमित शाह के इंटरव्यू के बाद एटीएस ने उठाया कदम

गुजरात एटीएस का यह कदम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा समाचार एजेंसी एएनआई के दिए एक साक्षात्कार में तीस्ता सीतलवाड़ की आलोचना करने के कुछ घंटों बाद आया है। अमित शाह ने साक्षात्कार कहा था, ‘मैंने फैसले को बहुत ध्यान से पढ़ा है। फैसले में स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है। उनके द्वारा चलाए जा रहे एनजीओ ने पुलिस को गुजरात दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी।’

इस बीच गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर याचिका खारिज होने के बाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व अतिरिक्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार को तलब किया। वह अहमदाबाद क्राइम ब्रांच पहुंचे, जहां पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

गुजरात दंगों में हुई थी कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की मौत

उल्लेखनीय है कि पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में 1044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे। इस संबंध में विवरण देते हुए, केंद्र सरकार ने मई, 2005 में राज्यसभा को सूचित किया था कि गोधरा कांड के बाद के दंगों में 254 हिन्दू और 790 मुस्लिम मारे गए थे।

सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए डाली गई याचिका, झूठी है गवाही

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि गुजरात में 2002 के दंगों पर झूठे खुलासे कर सनसनी पैदा करने के लिए राज्य सरकार के असंतुष्ट अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किए जाने और उनके खिलाफ कानून के अनुसार काररवाई करने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उसे राज्य सरकार की इस दलील में दम नजर आता है कि संजीव भट्ट (तत्कालीन आईपीएस अधिकारी), हरेन पांड्या (गुजरात के पूर्व गृह मंत्री) और आरबी श्रीकुमार (अब सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी) की गवाही मामले को केवल सनसनीखेज बनाने और इसके राजनीतिकरण के लिए थी जबकि यह झूठ से भरा हुआ था।