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संसद में सरकार का जवाब : आंदोलन के कारण किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं, मुआवजे का सवाल ही नहीं

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक वर्ष से चल रहे आंदोलन में किसी भी किसान की मौत नहीं हुई है। संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय के पास किसान आंदोलन की वजह से किसी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में मृत किसानों के परिजनों को मुआवजे का कोई सवाल ही नहीं उठता।

सरकार के दावे से उलट किसानों का दावा

फिलहाल सरकारी दावे के विपरीत लेकिन किसान संगठनों का दावा है कि पिछले एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों की मौत हुई है। इतना ही नहीं किसान संगठन अपनी शर्तों में इन किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।

वस्तुतः लोकसभा में सरकार से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास कोई डेटा है कि कितने किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हुई है और क्या सरकार आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देगी। यदि ऐसा है, तो सरकार इसकी विस्तृत जानकारी दे और यदि  नहीं है तो सरकार इसकी वजह बताए।

इसके साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से बातचीत के लिए क्या कदम उठाए हैं। अगर उठाए हैं तो क्या? नहीं उठाए तो क्या वजह है? सरकार से पूछा गया था कि क्या सरकार ने जो कृषि कानून लागू किए थे, उन्हें ही वापस लिया। अगर हां तो जानकारी दे।

कृषि मंत्री तोमर बोले – सरकार लगातार किसानों के संपर्क में

कृषि मंत्री तोमर ने अपने जवाब में कहा कि सरकार लगातार सक्रिय रूप से आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत कर रही है ताकि आंदोलन खत्म किया जा सके। इसके लिए सरकार और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच 11 स्तर की बातचीत भी हुई।

उन्होंने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को संसद के शीतकालीन सत्र में वापस ले लिया है। इसके अलावा सरकार ने कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइस की सलाह पर 22 फसलों के एमएसपी घोषित किए हैं। एमएसपी पर खरीद के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर एजेंसियां सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत फसलों की खरीद कर रही हैं।

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