नई दिल्ली, 20 मार्च। केंद्र सरकार ने भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख पर स्पष्ट करते हुए कहा है कि अवैध रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों को भारत में बसने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार ने शीर्ष अदालत के सामने यह भी कहा है कि रोहिंग्याओं का भारत में अवैध प्रवास आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी चिंता का कारण है और अवैध तरीके से भारत में रहने वालों के खिलाफ कानून के तहत काररवाई की जाएगी।
अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा दिलाने के लिए संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत डोमेन में नहीं जा सकती।
इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का जिक्र है। इसमें सरकार ने कहा है कि अनुच्छेद 21 के तहत विदेशी नागरिक भारत में घूम जरूर सकते हैं, लेकिन उन्हें भारत में बसने का अधिकार नहीं है।
‘UNHRC के शरणार्थी कार्ड को भी मान्यता नहीं देंगे‘
रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कहा है कि भारत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) के शरणार्थी कार्ड को भी मान्यता नहीं देता है, जिसकी मदद से कुछ रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी के दर्जे के लिए दावा कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि भारत पहले ही पड़ोसी देश (बांग्लादेश) से बड़े स्तर पर अवैध प्रवास का सामना कर रहा है, जिसके चलते कुछ सीमावर्ती राज्यों (असम और पश्चिम बंगाल) की जनसांख्यिकी स्थिति बदल गई है।
कानून के तहत रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों के खिलाफ होगी काररवाई
केंद्र सरकार ने हिरासत में लिए गए रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों की रिहाई की मांग कर रहीं याचिकाकर्ता प्रियाली सुर की याचिका का भी जवाब देते हुए स्पष्ट कर दिया कि भारत में रह रहे रोहिंग्याओं के खिलाफ कानून के मुताबिक काररवाई होगी। सरकार का कहना है कि भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों से फॉरेनर्स एक्ट के प्रावधानों के तहत निबटा जाएगा। भारत अपने घरेलू फ्रेमवर्क के तहत रोहिंग्याओं से निबटेगा।