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संसद में मोदी सरकार का जवाब – राजद्रोह से जुड़ी आईपीसी की धारा हटाने का कोई प्रस्‍ताव नहीं

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नई दिल्‍ली, 10 दिसंबर। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि राजद्रोह से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए को हटाने से संबंधित कोई प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि धारा 124ए से संबंधित ‘कानून का सवाल’ उच्चतम न्यायालय के पास लंबित है।

एआईयूडीएफ के नेता बदरुद्दीन अमजल ने सवाल उठाया था कि क्या उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? क्या न्यायालय ने सरकार से इस कानून की जरूरत और वैधता को लेकर सरकार से जवाब मांगा है? इसके जवाब में विधि मंत्री ने कहा, कि उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है।

सभी अदालतों में समान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मानदंड जल्द

किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार बहुत जल्द देश की सभी अदालतों के लिए एक समान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दिशानिर्देश पर काम कर रही है। यह देखते हुए कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई से लंबित मामलों से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि 21 उच्च न्यायालयों में, सरकार ने उनके परामर्श से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए नियम लागू किए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम ट्रायल मोड में हैं ताकि हम देश की सभी अदालतों में एक समान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रदान कर सकें।’

सभी अदालतों का डिजिटलीकरण भी प्रगति पर

रिजिजू ने यह भी कहा कि सभी अदालतों का डिजिटलीकरण प्रगति पर है और पूरे कोरोना महामारी के दौरान न्यायालयों ने सराहनीय काम किया है। भाजपा सांसद मनोज राजोरिया द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए विधि मंत्री ने कि ई-कोर्ट के आदेश भी हिन्दी और स्थानीय भाषा में दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण पूरा होने के बाद ऐसा किया जाएगा।

नेशनल कांफ्रेंस के सांसद हसनैन मसोदी ने सरकार से सुरक्षा कारणों से जम्मू-कश्मीर में ऑनलाइन अदालती कार्यवाही को इंटरनेट बंद से बाहर रखने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था खोजने का आग्रह किया।

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