नई दिल्ली, 3 दिसम्बर। केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन में संचार साथी एप प्री इंस्टॉल अनिवार्य रूप से करने का आदेश विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बाद बुधवार को वापस ले लिया। विपक्षी नेताओं ने इससे जासूसी की चिंता जताई थी। उनका कहना था कि यह एप कॉल सुन सकता है और संदेशों की निगरानी कर सकता है।
मोबाइल फोन निर्माताओं के लिए अनिवार्य किया गया था स्मार्टफोन में संचार साथी एप प्री इंस्टॉलेशन
सरकार की ओर से कहा गया कि मोबाइल फोन में संचार साथी एप को पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य नहीं है। यह निर्णय संसद में एप से जुड़ी गोपनीयता संबंधी चिंताओं पर चल रही बहस के बीच आया है। पिछले सप्ताह जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार मोबाइल फोन निर्माताओं के लिए स्मार्टफोन में संचार साथी एप प्री इंस्टॉल करना जरूरी कर दिया गया था।
सरकार के अनुसार यह एप पूरी तरह से उपयोगकर्ताओं को साइबर धोखाधड़ी से बचाने, दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की रिपोर्ट करने में उनकी सहायता करने और साइबर अपराध से निबटने को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
अब तक 1.4 करोड़ उपयोगकर्ताओं ने डाउनलोड किया संचार साथी एप
एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि अब तक 1.4 करोड़ उपयोगकर्ताओं ने संचार साथी एप को डाउनलोड किया है, जो सामूहिक रूप से प्रतिदिन लगभग 2,000 धोखाधड़ी की घटनाओं की जानकारी प्रदान करते हैं। पिछले 24 घंटे में यह गति और तेज हो गई, जिसमें छह लाख नए रजिस्ट्रेशन हुए। इसके साथ ही यह कहा गया कि संचार साथी एप की बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए, सरकार ने मोबाइल निर्माताओं के लिए प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य नहीं करने का निर्णय लिया है।
संचार मंत्री सिंधिया बोले – संचार साथी एप से स्नूपिंग संभव नहीं
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि संचार साथी एप से न ही स्नूपिंग संभव है और न ही भविष्य में ऐसा कभी संभव हो सकेगा। उन्होंने लोकसभा में बुधवार को कहा, ‘आज देश में हमारे यूजर्स का आंकड़ा एक अरब तक पहुंच चुका है। जहां दूरसंचार सेवाओं का सकारात्मक प्रभाव है वहीं, इसका नकारात्मक इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि देश की जनता और हर नागरिक को इन नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित रखें। इसी सोच के साथ 2023 में संचार साथी पोर्टल और 2025 में संचार साथी एप की शुरुआत की गई थी।’

