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सरकार ने निमेसुलाइड व पैरासिटामोल सहित 14 एफडीसी दवाओं पर लगाया बैन, कहा – इनका चिकित्सीय औचित्य नहीं

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नई दिल्ली, 3 जून। केंद्र सरकार ने निमेसुलाइड और घुलनशील पैरासिटामोल गोलियों एवं क्लोफेनिरामाइन मैलेट तथा कोडीन सिरप सहित 14 एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार का कहना है कि इन दवाओं का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और ये लोगों के लिए ‘जोखिम’ भरी हो सकती हैं।

‘फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन’ (एफडीसी) वाली इन दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की। प्रतिबंधित दवाओं में सामान्य संक्रमण, खांसी और बुखार के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली मिश्रित दवाएं शामिल हैं।

इनमें निमेसुलाइड व पेरासिटामोल की घुलनशील गोलियां, क्लोफेनिरामाइन मैलेट + कोडीन सिरप, फोल्कोडाइन + प्रोमेथाजिन, एमोक्सिसिलिन + ब्रोमहेक्सिन और ब्रोमहेक्सिन + डेक्सट्रोमेथोर्फन + अमोनियम क्लोराइड + मेन्थॉल, पैरासिटामोल + ब्रोमहेक्सिन + फिनाइलफ्राइन + क्लोरफेनिरामाइन + गुइफेनेसिन और साल्बुटामोल + ब्रोमहेक्सिन के नाम हैं।

विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद यह कदम उठाया गया है। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि ‘इस एफडीसी (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन) का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और एफडीसी से मानव के लिए जोखिम शामिल हो सकता है। इसलिए बड़े जनहित में, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26 ए के तहत इस एफडीसी के विनिर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगाना आवश्यक है।’

एफडीसी दवाएं वे होती हैं, जिनमें एक निश्चित अनुपात में दो या दो से अधिक सक्रिय औषधीय सामग्रियों का मिश्रण होता है। वर्ष 2016 में, सरकार ने 344 दवा संयोजनों के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

यह घोषणा उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित एक विशेषज्ञ समिति के यह कहने के बाद की गई थी कि संबंधित दवाएं बिना वैज्ञानिक डेटा के रोगियों को बेची जा रही हैं। इस आदेश को विनिर्माताओं ने अदालत में चुनौती दी थी। वर्तमान में प्रतिबंधित की गईं 14 एफडीसी संबंधित 344 दवाओं के संयोजन का हिस्सा हैं।