नई दिल्ली, 3 मार्च। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ना शुरू हो गया है। यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस पर पश्चिमी देशों का कड़ा आर्थिक प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़ने के साथ ही इसका वैश्विक असर कई देशों में देखने को मिलेगा।
इसका ताजा उदाहरण यह है कि दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ते हुए 100 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो चुकी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि विश्व बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल के भी पार जा सकती हैं।
ग्लोबल फर्मों ने की भविष्यवाणी
गोल्डमैन सैक्स, मोर्गन स्टेनली और जेपी मोर्गन जैसी ग्लोबल फर्मों ने इस संबंध में भविष्यवाणी की है। इनका कहना है कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम जल्द ही 150 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकते हैं। रूस पर प्रतिबंधों की वजह से अमेरिका का तेल रिजर्व 20 वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गया है। आगे भी यही सिलसिला जारी रहा तो 150 डॉलर का आंकड़ा कुछ समय में पूरा हो जाएगा।
ब्रेंट ऑयल पहुंचा 118 डॉलर के पार
वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतें पिछले दिनों से करीब आठ डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ गईं थी। ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव सुबह 7.30 बजे 118.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। यह अगस्त, 2013 के बाद सबसे ऊंची कीमत है। इसके अलावा अमेरिकी तेल डब्ल्यूटीआई क्रूड के भाव भी 113.01 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए, जो 11 वर्ष का उच्चतम स्तर हैं।
भारत में 10 रुपये तक बढ़ सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमत
यदि कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होगा तो उसका असर सीधे भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा। भारत में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से पेट्रोल-डीजल के दामों में 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि देखने को मिल सकती हैं। पांच राज्यों में चुनाव के दबाव में सरकार और सरकारी तेल कम्पनियां पिछले करीब चार महीने से पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी नहीं कर पा रहीं हैं।
इन विकल्पों को आजमा सकती है मोदी सरकार
- पेट्रोल डीजल के दामों में नियंत्रण पाने के लिए सरकार उत्पादन शुल्क को घटा सकती है।
- तेल उत्पादक देशों से बात कर उनपर तेल उत्पादन बढ़ाने का दबाव बनाया जा सकता है।
- सरकार डीजल-पेट्रोल में एथनॉल ब्लेंडिंग की मात्रा को बढ़ाने पर विचार कर सकती है।
- सरकार अपने रिजर्व में से कुछ हिस्सा बाजार में जारी कर सकती है।