नई दिल्ली, 26 अगस्त। अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पार्टी के अहम पद से भी इस्तीफा दिया था। खास बात है कि 2020 में ही उन्होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें संगठन स्तर पर बड़े बदलाव की मांग की गई थी। उस दौरान कांग्रेस की भीतर ही G-23 समूह चर्चा में आया था, जिसमें आनंद शर्मा, मनीष तिवारी समेत कई नेता शामिल थे।
कांग्रेस में 50 वर्षों तक रहे आजाद ने सभी पदों से दिया इस्तीफा
गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस पार्टी में 50 वर्षों से ज्यादा समय तक रहे 73 वर्षीय आजाद इस संबंध में सोनिया को पांच पन्नों का पत्र भी भेजा है। खास बात है कि उन्होंने पत्र में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व पर बड़े सवाल उठाए हैं। इस दौरान उन्होंने खासतौर पर ‘जनवरी 2013’ का जिक्र किया है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की काररवाई के दौरान वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर आए थे।
मोदी सरकार ने आजाद को इसी वर्ष ‘पद्म भूषण’ से नवाजा है
गुलाम नबी 1970 के दशक में कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। 1973 में उन्हें जम्मू-कश्मीर के भलेसा ब्लॉक कांग्रेस का सचिव बनाया गया था। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार लोकसभा सांसद बने। अपने पांच दशकों लम्बे राजनीतिक करिअर में आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, राज्यसभा में कांग्रेस दल के नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। इसी साल केंद्र सरकार ने राजनीति में उनके योगदान के लिए उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।
पार्टी से लंबे समय से नाराज चल रहे थे G-23 समूह के सदस्य आजाद
आजाद ने हाल ही में कैंपेन कमेटी के चेयरमैन और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के राजनीतिक मामलों की समिति से इस्तीफा दे दिया था। खास बात है कि G-23 समूह के सदस्य आजाद पार्टी से लंबे समय से नाराज चल रहे थे। उन्हें राज्यसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी ने नजरअंदाज कर दिया था। बहरहाल, वरिष्ठ नेता की तरफ से उठाए गए इस कदम ने राजनीतिक जानकारों के हैरानी में डाल दिया है।