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राह में आई अड़चनों से बिजनेस के गुर सिखा गए गौतम अदाणी

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लखनऊ: आईआईएम लखनऊ में गुरुवार को मैनेजमेंट की एक अनोखी पाठशाला देखने को मिली। जानेमाने उद्योगपति गौतम अदाणी ने अपनी जीवन यात्रा के सबक मैनेजमेंट स्टूडेंट्स के साथ साझा किए। इस दौरान उन्होंने भारत में उद्योगों की संभावना और विकास को लेकर अपने विचार भी व्यक्त किए।

गौतम अदाणी ने मैनेजमेंट स्टूडेंट्स के साथ उद्योग ही नहीं जिंदगी के सबक भी बांटे। उन्होंने बताया कि हर बार वैसा नहीं होता जैसा आप प्लान करते हैं। कई बार फैसले लेते वक्त भय भी लगता है लेकिन इससे पार जाकर ही जीत मिलती है। उन्होंने कहा कि – “मेरी यात्रा ने मुझे सिखाया है कि भविष्य कभी भी उतना स्पष्ट नहीं होता जितना कक्षाओं में दिखाई देता है। भविष्य अव्यवस्थित, अनिश्चित और अक्सर क्रूर होता है। और यही वह चीज़ है जिसका सामना करने के लिए आपको तैयार रहना चाहिए।

मैंने सीखा है – और अभी भी सीख रहा हूं कि वास्तविक दुनिया ऐसे क्षणों से बनी है जिसकी पहले कोई मिसाल नहीं है। वास्तविक दुनिया में ऐसे अभूतपूर्व क्षण आते हैं जहां सब कुछ धुंधला होता है, जहां बिजनेस मॉडल चुप हो जाते हैं। सफलता इस बात से परिभाषित नहीं होती कि आपने अपने व्यावसायिक मामलों का कितना अच्छा अध्ययन किया है। मेरी यात्रा ने मुझे सिखाया है कि भविष्य कभी भी उतना साफ़-सुथरा नहीं होता जितना क्लास रूम में दिखाई देता है। भविष्य अव्यवस्थित, अनिश्चित और अक्सर क्रूर होता है और आपको इसी का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।“

उन्होंने कहा कि भविष्य इस इस बात से तय होता है कि आप अपनी कहानी को केस स्टडी बना पाते हैं या नहीं। इतिहास इस बात से नहीं बनता कि हम मौजूदा मॉडलों को कितनी अच्छी तरह लागू करते हैं। यह नए रास्ते बनाने के हमारे साहस और नेतृत्व की क्षमता से बनता है। मेरा मानना है कि वक़्त की रेत पर चलने से – इतिहास नहीं बनते! इतिहास वो बनाते हैं – जो अपनी राह खुद तराशते हैं।

ब्लर्ब – गौतमवाणी

साल 2050 तक 25 ट्रिलियन डॉलर की होगी भारत की अर्थव्यवस्था

किसी देश ने भारत जैसा सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाया

धारावी मेरे लिए रियल एस्टेट प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी है 

मैनेजमेंट स्टूडेंट्स को अपनी उद्योगयात्रा के बारे में बताते हुए गौतम अदाणी ने कहा कि अगर आपको कुछ बड़ा करना है तो बड़े सपने देखने पड़ेंगे और उन्हें पूरा करने के लिए पूरा जोर लगाना होगा। उन्होंने बताया कि हर बार बिजनेस की शुरुआत में ऐसा वक्त आया जब सारे संसाधन खत्म हो गए और मदद करने वाले भी नजर नहीं आए। ऐसे वक्त में एक चीज जो हमेशा उन्हें आगे बढ़ाती रही वह यह दृढ़ विश्वास कि उनके साहसिक सपने संघर्ष के लायक थे।

यह बात समझाने के लिए उन्होंने कई उदाहरण दिए। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने गुजरात में मुंद्रा पोर्ट की शुरुआत करने का प्लान बनाया तो सभी ने उनका मज़ाक उड़ाया। इसे बुरा आइडिया करार दे दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। ऐसा ही कुछ क्वींसलैंड ऑस्ट्रेलिया में कोयला खनन की कंपनी खोलते वक्त हुआ। इंटरनेशनल मीडिया ने उन्हें खलनायक बनाया लेकिन उन्होंने देश की उर्जा सुरक्षा के लिए विरोध के बावजूद कंपनी के पैर जमाए रखे। उन्होंने बताया कि अब लोग धारावी को लेकर भी ऐसी ही बात करते हैं। लेकिन धारावी उनके लिए ईंट और सीमेंट का प्रोजेक्ट नहीं है। यह सुविधा नहीं, संवेदनशीलता और लाखों लोगों के सपनों का प्रोजेक्ट है।

आईआईएम में स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए गौतम अदाणी ने भविष्य में सामने आने वाली चुनौतियों और उनके निदान पर भी बात की। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस, एल्गोरिद्म पर आधारित फैसले लेने के वक्त में पूरी दुनिया अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर शिक्षा का मूल्य क्या है?

गौतम अदाणी के अनुसार मैनेजमेंट की पारंपरिक पढ़ाई में उद्योग जगत के उन पहलुओं की ही चर्चा होती है जो पहले से किए जा चुका है। सिर्फ यही पढ़ाया जा रहा है कि जोखिम को कैसे कम किया जाए लेकिन यह नहीं बताया जा रहा कि भविष्य को किस तरह से विस्तार दिया जाए। उन्होंने चेताया कि भविष्य उन लोगों का नहीं होगा जो सुरक्षित खेलेंगे बल्कि उनका होगा जो अपनी संभवनाओं का विस्तार करेंगे। संभावनाओं का विस्तार करने का मतलब है वहां पर मौके तलाशना जहां पर पहले काम नहीं किया गया। गौतम अदाणी ने कहा कि भविष्य कभी भी डाटा के आधार पर की गई भविष्यवाणियों के आधार पर नहीं बल्कि साहस के बलबूते पर तय होता है।

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