Site icon hindi.revoi.in

गौतम अदाणी ने इंडोलॉजी मिशन को 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की

Social Share

अंतर्गत स्थापित आईकेएस, प्राचीन भारतीय ज्ञान को विभिन्न विषयों में मुख्यधारा में लाने, ग्रंथों एवं प्रथाओं के संरक्षण और इंजीनियरिंग, पर्यावरण विज्ञान, भाषाविज्ञान, पॉलिसी और स्वास्थ्य सेवा जैसे आधुनिक क्षेत्रों में उसके व्यावहारिक उपयोग को बढ़ावा देता है।

इंडोलॉजी ने सदियों से भाषा विज्ञान, खगोल विज्ञान, गणित, शासन, साहित्य और स्वास्थ्य-विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भारत के वैश्विक अध्ययन को आकार दिया है। लेकिन दशकों से घटते संस्थागत समर्थन ने इसके अकादमिक विस्तार को कमजोर किया है। इस चुनौती से निपटने के लिए अदाणी ग्रुप और IKS ने देशभर के प्रमुख संस्थानों में 14 पीएचडी स्कॉलर्स को समर्थन देने के लिए पाँच वर्ष का कार्यक्रम शुरू किया है। इनका रिसर्च पाणिनीय व्याकरण और कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स, प्राचीन खगोलिक प्रणालियों, स्वदेशी स्वास्थ्य-ढांचों, पारंपरिक इंजीनियरिंग की स्थिरता-नीतियों, राजनीतिक दर्शन, विरासत अध्ययन और शास्त्रीय साहित्य जैसे विषयों को कवर करेगा।

ये विद्वान आईआईटी, आईआईएम, आईकेएस-केंद्रित विश्वविद्यालयों और प्रमुख विद्वानों की भागीदारी वाले कठोर राष्ट्रीय परामर्श के बाद चुने गए हैं। डेटा साइंस, सिस्टम्स थिंकिंग और मल्टीमॉडल आर्काइविंग जैसे आधुनिक उपकरणों के साथ शास्त्रीय ज्ञान को जोड़कर यह कार्यक्रम इंडोलॉजी को समकालीन अकादमिक विमर्श और वैश्विक शोध में प्रासंगिक बनाने का लक्ष्य रखता है।

वसुधैव कुटुंबकम् अर्थात “पूरा विश्व एक परिवार” की भावना पर आधारित यह पहल भारत की सॉफ्ट पावर और सभ्यतागत नेतृत्व को सुदृढ़ करने के प्रति अदाणी ग्रुप की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

Exit mobile version