नई दिल्ली, 23 अप्रैल। जीवित ही किंवदंती बन चुके दुनिया के महानतम शतरंज खिलाड़ियों में एक रूसी गैरी कास्परोव ने भारतीय किशोर ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश की तारीफ करते हुए कहा है कि ‘टोरंटो में भारतीय भूचाल’ आया और यह जीत विश्व शतरंज में बड़े बदलाव का संकेत है।
उल्लेखनीय है कि 17 वर्षीय गुकेश ने रविवार को कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया और विश्व चैम्पियनशिप खिताब के सबसे युवा चैलेंजर बन गए। उन्होंने इस क्रम में पूर्व विश्व चैम्पियन गैरी कास्परोव का 40 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। कास्परोव 1984 में 22 वर्ष के थे, जब उन्होंने हमवतन रूस के ही अनातोली कारपोव को विश्व चैम्पियनशिप खिताब के लिए चुनौती दी थी।
कास्परोव ने अतीत में रूस के दबदबे का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, ‘बधाई हो! टोरंटो में भारतीय भूचाल शतरंज की दुनिया में बदलाव का संकेत है क्योंकि 17 वर्षीय डी. गुकेश सर्वोच्च खिताब के लिए चीन के चैम्पियन डिंग लिरेन का सामना करेंगे।’
Congratulations! The Indian earthquake in Toronto is the culmination of the shifting tectonic plates in the chess world as the 17 year old Gukesh D will face the Chinese champion Ding Liren for the highest title. The "children" of Vishy Anand are on the loose! https://t.co/Lm52orDYs8
— Garry Kasparov (@Kasparov63) April 22, 2024
गुकेश ने विश्व चैम्पियनशिप के चैलेंजर का फैसला करने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के 14वें और अंतिम दौर में अमेरिका के हिकारू नकामूरा के साथ आसान ड्रॉ खेला और टूर्नामेंट में संभावित 14 में से नौ अंक जुटाकर शीर्ष स्थान हासिल किया। इस जीत से गुकेश वर्ष की आखिरी तिमाही में मौजूदा विश्व चैम्पियन लिरेन के खिलाफ मुकाबले के हकदार बन गए।
विश्व शतरंज में छाए हुए हैं विशी आनंद के ‘बच्चे’
पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने भारत में शतरंज संस्कृति को जन्म दिया और देश इस ग्रैंडमास्टर की सफलता का लाभ उठा रहा है, जिसमें हजारों युवा शतरंज को अपना रहे हैं। कास्परोव ने भारतीय शतरंज में आनंद के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा, “विशी आनंद के ‘बच्चे’ छाए हुए हैं।’’
कास्परोव यहां गुकेश की सफलता के बाद ग्रैंड चेस टूर के बधाई ट्वीट का जवाब दे रहे थे। ग्रैंड चेस टूर ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘डी गुकेश को फिडे कैंडिडेट्स में उनकी जीत के लिए बधाई, उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप मैच में चैलेंजर के रूप में अपनी जगह पक्की की है। हम उत्सुकता से हमारे ग्रैंड शतरंज टूर कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी का इंतजार कर रहे हैं।’’
शतरंज में उपलब्धि हासिल करने के लिए भारत के प्रवासी उतने ही जुनूनी हैं
वर्ष 1985 से 1993 तक निर्विवाद विश्व चैम्पियन रहे कास्परोव एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में शतरंज के शक्ति केंद्र में बदलाव पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘अमेरिका और इंग्लैंड के कई शीर्ष जूनियर खिलाड़ियों के नाम देखें, यह देखने के लिए कि चीन और भारत के प्रवासी शतरंज में उपलब्धि हासिल करने के लिए उतने ही जुनूनी हैं। कास्परोव शतरंज फाउंडेशन ने इस लहर को बढ़ते देखा है और गुकेश की सफलता इसे और ऊपर उठाएगी।’’
रिकॉर्ड 255 माह तक विश्व के नंबर एक खिलाड़ी रहे हैं कास्परोव
अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) के साथ विवाद के बाद कास्परोव ने एक प्रतिद्वंद्वी संगठन पेशेवर शतरंज संघ की स्थापना की थी। वह 1984 से 2005 में नियमित प्रतिस्पर्धी शतरंज से संन्यास लेने तक वह कुल मिलाकर रिकॉर्ड 255 महीनों के लिए विश्व में नंबर एक खिलाड़ी रहे।