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121 करोड़ रुपये की आईटीसी से जुड़ीं फर्जी कम्पनियों के गिरोह का पर्दाफाश, सीए सहित 3 गिरफ्तार

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नई दिल्ली, 15 सितम्बर। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की गुरुग्राम क्षेत्रीय इकाई (जीजेडयू), हरियाणा ने जाली दस्तावेजों पर कई फर्जी कम्पनियां खड़ी करने और उनका संचालन करने तथा किसी वास्तविक रसीद या माल या सेवाओं की आपूर्ति के बिना बिल जारी कर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) देने के आरोप में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

गिरोह के मास्टरमाइंड ने बना रखी थीं 13 फर्जी कम्पनियां

डीजीजीआई की अब तक की जांच से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में गिरोह के मास्टरमाइंड ने कम से कम 13 कम्पनियां बनाईं और कुल 121 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले आईटीसी का लाभ उठाने और उसे दूसरों को देने में संलिप्त रहा है।

कमीशन एजेंट की मिलीभगत से चल रहा था काम

जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि जिस व्यक्ति ने फर्जी/नकली कम्पनियां बनाई थीं, उसने एक कमीशन एजेंट की मिली भगत से यह काम किया। यह कमीशन एजेंट बिना माल या सेवाओं की आपूर्ति के ये बिल, कमीशन के लिए, स्थापित कम्पनियों को सीधे और अलग-अलग दलालों के माध्यम से बेचता था। कमीशन एजेंट को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

हर दिन होता था लगभग 30-40 लाख रुपये का नकद लेन-देन

इसके अलावा, वित्तीय आवाजाही की इस सीरीज में यह भी पता चला है कि स्थापित कम्पनियां (अंतिम उपयोगकर्ता) इन नकली कम्पनियों को हस्तांतरण करती थीं और इसके बाद यहां से राशि एक निजी लिमिटेड कम्पनी के खाते में भेजी जाती थी, जहां से उक्त चार्टर्ड अकाउंटेंट अपनी कम्पनी के साथ-साथ अपना खुद का कमीशन काटने के बाद यह राशि नकदी में निकालता था और वापस कर देता था। हर दिन लगभग 30-40 लाख रुपये का नकद लेन-देन किया जा रहा था।

तीनों आरोपित 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए

मामले की कई अलग-अलग जगहों पर की गई जांच और सत्यापन, साक्ष्य एवं दर्ज किए गए बयानों के आधार पर पता चला है कि ये तीनों व्यक्ति यानी नकली कम्पनियों का निर्माता, कमीशन एजेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट जाली दस्तावेजों पर नकली कम्पनी बनाने के इस गिरोह को चलाने के लिए मिलकर काम कर रहे थे और उन्होंने 121 करोड़ रुपये (अब तक) की धोखाधड़ी वाली आईटीसी जारी किए।

गिरोह के तीनों सदस्यों को गत 13 सितम्बर को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम, 2017 की धारा 132 के साथ-साथ धारा 69 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया और मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम), दिल्ली के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने आरोपितों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। मामले में और जांच चल रही है।

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