नई दिल्ली, 29 नवंबर। रूस के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने दावा किया है कि स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट वैक्सीन कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से लड़ने में सक्षम हैं।
मॉस्को स्थित इंस्टीट्यूट का मानना है कि स्पुतनिक वी और लाइट ओमिक्रॉन को बेअसर कर देगा क्योंकि उसमें अन्य वैक्सीन के मुकाबले वायरस के म्यूटेशन से लड़ने की उच्चतम प्रभावकारिता है। इंस्टीट्यूट ने एक बयान में कहा है कि यदि इसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं हुई तो कम्पनी 20 फरवरी, 2022 तक कई सौ मिलियन स्पुतनिक ओमिक्रॉन बूस्टर प्रदान करेगी।
गौरतलब है कि पूरी दुनिया कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर चिंतिंत है और विशेषज्ञों ने साफ किया है कि इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों पर वैक्सीन का असर भी कम हो सकता है।
30 से ज्यादा म्यूटेशन की वजह से अधिक संक्रामक है ओमिक्रॉन
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी बताया है कि कोरोना के इस नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक बदलाव हुए हैं, जिससे इसे एक इम्यूनोस्केप तंत्र विकसित करने की क्षमता मिलती है।
उन्होंने कहा कि स्पाइक प्रोटीन की उपस्थिति से किसी भी मानव शरीर के कोशिकाओं में वायरस को प्रवेश की सुविधा मिलती है। इसे ही व्यक्ति के शरीर को संक्रमणीय बनाने और संक्रमण पैदा करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
डॉ. गुलेरिया ने कोरोना के इस नए वैरिएंट के संक्रमण को रोकने के लिए आक्रमक टेस्टिंग पर जोर देने का सुझाव दिया है। साथ ही उन्होंने लोगों को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज देने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत पर भी बल दिया है।
जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए ओमिक्रॉन के प्रभाव और संक्रमण की क्षमता का अध्ययन
नए वैरिएंट के सामने आने के बाद अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैज्ञानिक जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इसके प्रभाव और संक्रमण की क्षमता का अध्ययन कर रहे हैं। जीनोम में एक पीढ़ी से जुड़ें गुणों और खासियतों को अगली पीढ़ी में भेजने की काबिलियत होती है। इसलिए अलग-अलग कोरोना वैरिएंट मिलकर नया कोरोना वैरिएंट बना रहे हैं। यानी इनके अंदर पुरानी पीढ़ी के जीनोम और नए बने वैरिएंट की खासियत होगी।