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क्रिकेट में डकवर्थ-लुईस-स्टर्न पद्धति के सह-आविष्कारक फ्रैंक डकवर्थ का 84 वर्ष की आयु में निधन

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नई दिल्ली, 25 जून। वर्षा से प्रभावित क्रिकेट मैचों में परिणाम निर्धारित करने के लिए प्रयुक्त डकवर्थ-लुईस-स्टर्न (DLS) पद्धति के आविष्कारकों में से एक फ्रैंक डकवर्थ का गत 21 जून को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

क्रिकेट की वैश्विक वेबसाइट ईएसपीएनक्रिकइंफो की रिपोर्ट के अनुसार डकवर्थ ने साथी सांख्यिकीविद् टोनी लुईस के साथ मिलकर बारिश या अन्य कारकों से बाधित सीमित ओवरों के मैचों में निष्पक्ष परिणाम सुनिश्चित करने के लिए डीएलएस नियम को तैयार किया था।

यह पद्धति पहली बार 1997 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लागू की गई

इस पद्धति को पहली बार 1997 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लागू किया गया था और 2001 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने उन मुकाबलों में संशोधित लक्ष्य देने की मानक प्रणाली के रूप में इसे आधिकारिक रूप से स्वीकार किया, जहां ओवरों की संख्या में कटौती होती है।

जटिल सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर डीएलएस विधि, दूसरे बल्लेबाजी करने वाली टीम के लिए संशोधित लक्ष्य निर्धारित करने के लिए शेष विकेट और गंवाए गए ओवर जैसे कारकों पर विचार करती है।

संप्रति अमेरिका व वेस्टइंडीज की संयुक्त मेजबानी में जारी ICC टी20 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के कुछ मैचों में भी बारिश की रुकावट के कारण डकवर्थ-लुईस सिद्धांतों को लागू करना पड़ा। इनमें अफगानिस्तान और बांग्लादेश के बीच सोमवार की रात किंग्सटाउन में खेला गया सुपर-8 चरण (ग्रुप एक) का अंतिम मैच भी शामिल था। इस मैच में अफगानिस्तान ने डीएलएस के जरिए बांग्लादेश को आठ रनों से हराकर न सिर्फ पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्पर्धा के सेमीफाइनल में प्रवेश किया वरन उसकी जीत से शक्तिशाली ऑस्ट्रेलिया को बाहर होना पड़ा।

डकवर्थ व लुईस 2010 में MBE से सम्मानित किए गए थे

डकवर्थ और लुईस दोनों को जून 2010 में ‘मेंबर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश अंपायर’ (एमबीई) से सम्मानित किया गया। 2014 में डकवर्थ और लुईस के रिटायर होने और ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकीविद् स्टीवन स्टर्न द्वारा इसमें कुछ संशोधन के बाद आईसीसी ने उनके योगदान को मान्यता देते हुए इस पद्धति का नाम बदलकर डकवर्थ-लुईस-स्टर्न (DLS) कर दिया था।

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