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योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा – दिवालियापन का नुस्खा है पुरानी पेंशन योजना

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नई दिल्ली, 8 जनवरी। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और जाने-माने नीति निर्धारक मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि जो राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) दुबारा लागू करना चाहती हैं, वह सिर्फ दिवालियापन का नुस्खा है और यह कदम बेतुका है।

उल्लेखनीय है कि कई राज्य सरकारें मुख्यत: कांग्रेसशासित राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करना चाहती हैं। इसपर केंद्र सरकार से उनका मत अलग है। फिलहाल मनमोहन सरकार के सिपहसलार रह चुके मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इसे मूर्खतापूर्ण कदम बताया है।

ख्यातिनाम पॉलिसीमेकर अहलूवालिया ने कहा, ‘अगर आप मुझसे इस फैसले के बारे में पूछेंगे तो मैं कहूंगा कि यह दिवालियापन का एक नुस्खा है। इससे वित्तीय दिवालियापन की स्थिति पैदा होगी। जो लोग इस कदम को आगे बढ़ा रहे हैं, उन्हें फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आएगा।’

पुरानी पेंशन योजना पर लौटने का फैसला वित्तीय आपदा का कारण बनेगा

दरअसल, मोंटेंक सिंह अहलूवालिया एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने पुरानी पेंशन योजना से जुड़े सवाल के जवाब में ये बातें कहीं। अहलूवालिया ने आगे कहा कि पुरानी पेंशन योजना पर अर्थशास्त्रियों को पास कुछ नहीं हैं। जो लोग सत्ता में बैठे हैं या राजनीतिक दल इन्हें ऐसे कदम को उठाने से रोकना चाहिए। यह फैसला वित्तीय आपदा का कारण बनेगा।

कांग्रेस लागू करना चाहती है, बनाया है चुनावी वादा

गौरतलब है कि कई राज्यों में कांग्रेस पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर रही है और इसे चुनावी वादा बना रही है। कांग्रेस जहां-जहां सत्ता में है, उसने लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि वह ओल्ड पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करेगी। आपको बता दें कि साल 2004 की पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह नई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली चल रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसे वापस लाने से पहले से ही कमजोर पड़ी अर्थव्यवस्था से जूझ रहे राज्यों पर भारी राजकोषीय बोझ पड़ेगा। अहलूवालिया ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना की तरफ लौटने से पहले इसके कारण होने वाले नुकसान को समझाने की जरूरत है।

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