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पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी का तीखा हमला – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से शायद डरते हैं पीएम मोदी

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पटना, 22 मई। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जब पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करने की जरूरत थी, तब पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में आकर युद्ध विराम क्यों कर लिया?

जब पाकिस्तान पर कड़े प्रहार की जरूरत थी, तब युद्धविराम क्यों किया?

सुब्रमण्यम स्वामी ने तंज कसते हुए कहा, ‘लगता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति से डरते हैं। जब पाकिस्तान की पिटाई होनी चाहिए थी, तब ट्रंप के कहने पर युद्ध विराम क्यों कर लिया गया? अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उन्होंने कराया है, जिससे भारत की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।‘

प्रधानमंत्री को इस मामले पर देश के सामने स्पष्ट सफाई देनी चाहिए।

अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की कि प्रधानमंत्री को इस मामले पर देश के सामने स्पष्ट सफाई देनी चाहिए। जब उनसे यह पूछा गया कि केंद्र सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए विश्व के अलग-अलग देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजा है तो उन्होंने इसे बेकार करार देते हुए कहा कि इससे कुछ होने वाला नहीं है।

सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजे से कुछ होने वाला नहीं

दिग्गज नेता का कहना था कि ये लोग मौज करने गए हैं। प्रतिनिधिमंडल में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जो इस मामले का जानकार हो। उन्होंने कांग्रेस नेता शशि थरूर को अमेरिका भेजे जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें अमेरिका क्यों भेजा गया? उन्होंने अपनी पत्नी की हत्या की है।

सरकार को अपनी नीतियों और फैसलों पर पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

वक्फ संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जब संविधान लागू हुआ, तो वह सभी के लिए समान है। मुसलमानों को भी इसे स्वीकार करना चाहिए। संविधान के दायरे में सभी को समान अधिकार और कर्तव्य निभाने होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी नीतियों और फैसलों पर पारदर्शिता बरतनी चाहिए। खास तौर पर पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को लेकर उन्होंने सरकार से जवाब मांगा।

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