नालंदा, 15 सितम्बर। देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में बुद्ध के संदेशों की झलक मिलती है। नालंदा पूर्व से ही ज्ञान की धरती रही है। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। देशवासियों को इसका देश-दुनिया में प्रचार प्रसार करना चाहिए।
रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय वैशाली फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। इस समारोह में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आलेंकार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी सहित अन्य गणमान्य हस्तियां उपस्थित थीं।
कोविंद ने वैशाली गणतंत्र के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वैशाली पुरातन गणतंत्र है। कई स्थानों पर लोकतंत्र और गणतंत्र की व्यवस्था है। उस व्यवस्था को बेहतर तरीके से ऑर्गेनाइज किया गया था। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद में 40 और अथर्ववेद में नौ बार गणतंत्र शब्द का प्रयोग होता है।
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि इस समारोह का महत्व बिहार में ही क्यों? क्योंकि लोकतंत्र की जननी भारत का बिहार ही है, जिसका जन्म वैशाली से हुआ। इसे गौरवशाली क्षण में बदलने के लिए यह समारोह का बिहार में होना सार्थक है।
इस दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘भारत में लोकतंत्र का सफर 5000 साल पहले का है, लोकतंत्र की शुरुआत 1947 से नहीं हुई है। दिल्ली में बैठे कुछ लोग सोचते हैं की उन्होंने डेमोक्रेसी लाया। लेकिन हकीकत है ये डेमोक्रेसी यहां के लोगों ने लाया। हमें अपनी टेक्स्ट बुक में यह सुधार करना चाहिए कि 1947 से देश में लोकतंत्र आया, लोगों को ये बताना होगा की भारत लोकतंत्र की जननी है। प्रधानमंत्री इस बात का जिक्र करते हैं।’