नई दिल्ली, 6 अक्टूबर। देश के जाने-माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार का मानना है कि चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के फिर से एक्टिव होने की अब कोई उम्मीद नहीं है, जो भारत के तीसरे चंद्र मिशन के संभावित अंत का संकेत है।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 मिशन के साथ भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया था और ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला देश बन गया था। इसके साथ ही भारत चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के साथ अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के बाद ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश बन गया था।
इसरो ने चंद्रमा पर रात होने से पहले क्रमशः चार और दो सितम्बर को लैंडर तथा रोवर को निष्क्रिय अवस्था (स्लीप मोड) में डाल दिया था, जिनके 22 सितम्बर के आसपास अगले सूर्योदय पर फिर से सक्रिय होने की उम्मीद थी। लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिवस की अवधि (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) तक कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया था।
चंद्रयान-3 मिशन के सभी तीन उद्देश्य हासिल कर लिए गए हैं
फिलहाल, इसरो के अधिकारियों के अनुसार चंद्रयान-3 मिशन के सभी तीन उद्देश्य हासिल कर लिए गए हैं, जिनमें चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’, चंद्रमा पर घूमने वाले रोवर का प्रदर्शन और चंद्र सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग शामिल हैं।
मिशन की उपलब्धि पर क्या बोले किरण कुमार?
चंद्रयान-3 मिशन की उपलब्धि के संबंध में किरण कुमार ने कहा, ‘बड़े अर्थों में, आपने निश्चित रूप से जो हासिल किया है, वह यह है कि आप एक ऐसे क्षेत्र (दक्षिणी ध्रुव) पर पहुंच गए हैं, जहां कोई और नहीं पहुंचा है तथा उस क्षेत्र का वास्तविक डेटा प्राप्त नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि यह वास्तव में बहुत उपयोगी जानकारी है। इससे बाद के अभियानों को ज्ञान के संदर्भ में और उन गतिविधियों की योजना बनाने के संदर्भ में लाभ होगा, जो आप उस क्षेत्र में करना चाहते हैं।’ उन्होंने इसरो द्वारा चंद्रमा से नमूने लाए जाने संबंधी मिशन शुरू करने की संभावना के बारे में भी बात की, लेकिन इस तरह का अभियान शुरू करने के लिए कोई समयसीमा नहीं दी।