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भारतीय महिला हॉकी की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने लिया संन्यास, 16 वर्षों के लंबे करिअर को दिया विराम

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने 16 वर्षों के सुनहरे करिअर पर विराम लगाते हुए गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा कर दी।

गौरतलब है कि रानी के पिता ठेला खींचने का काम करते थे। लेकिन रानी हरियाणा के एक छोटे से शहर शाहबाज मारकंडा से निकलकर वह गरीबी व रूढ़िवादी समाज की वर्जनाओं को तोड़ते हुए उदीयमान खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं। रानी की अगुआई में भारत ने 2021 में टोक्यो खेलों के दौरान ओलम्पिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान हासिल किया था।

यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में भारत और जर्मनी की पुरुष हॉकी टीमों के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज के अंतिम मैच के बाद रानी के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हॉकी इंडिया ने उनकी जर्सी नंबर 28 को रिटायर करने का फैसला किया।

हॉकी इंडिया ने रानी को 10 लाख रुपये का चेक भी प्रदान किया

समारोह के मुख्य अतिथि खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने रानी को भविष्य की शुभकामनाएं दीं। वही हॉकी इंडिया ने रानी को 10 लाख रुपये का चेक भी प्रदान किया। इस 29 वर्षीया दिग्गज फॉरवर्ड ने 2008 में ओलम्पिक क्वालीफायर में 14 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया था। उन्होंने भारत के लिए 254 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 205 गोल किए।

मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार व पद्मश्री से सम्मानित हैं रानी

रानी रामपाल को 2020 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उसी वर्ष देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी उन्हें नवाजा गया था। रानी को हाल ही में सब जूनियर महिला टीम का राष्ट्रीय कोच नियक्त किया गया है।

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