Site icon hindi.revoi.in

पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आईपीएस अधिकारी संपत कुमार के खिलाफ दायर की अवमानना याचिका

Social Share

चेन्नई, 5 नवम्बर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आईपीएल सट्टेबाजी मामले की जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी जी. संपत कुमार के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में अवमानना ​​याचिका दायर की है।

यह ​​याचिका शुक्रवार को जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आरएमटी टीका रमन के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी और इस मामले पर बहस करने के लिए वरिष्ठ वकील पीआर रमन अदालत में मौजूद थे। लेकिन समय की कमी के कारण न्यायाधीश मामले की सुनवाई नहीं कर सके।

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामलों की जांच में शामिल थे संपत कुमार

संपत कुमार 2013 की आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामलों की जांच में शामिल थे। उन्होंने तब एक अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन का खुलासा किया था जिसमें माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कथित तौर पर शामिल था।

दरअसल, इस याचिका को तब सूचीबद्ध किया गया था, जब एडवोकेट जनरल आर. शुनमुगसुंदरम ने इसी वर्ष सात जुलाई को सहमति दी थी और आईपीएस अधिकारी द्वारा सहमति देने पर पुनर्विचार करने की याचिका को भी खारिज कर दिया था।

धोनी ने 2014 में एक टीवी चैनल और संपत के खिलाफ हर्जाने का केस किया था

महेंद्र सिंह धोनी ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने 2014 में एक टेलीविजन चैनल और आईपीएस अधिकारी के खिलाफ हर्जाने का मुकदमा दायर किया था और अंतरिम निषेधाज्ञा प्राप्त की थी। हालांकि, 2021 के अंत में आईपीएस अधिकारी ने सूट में अपना लिखित बयान दर्ज करना चुना था। धोनी ने कहा, ‘बयान पर गौर करने पर मैंने पाया कि निंदनीय और आपत्तिजनक बयान है और अदालत से आपराधिक अवमानना ​​​​के लिए अधिकारी को दंडित करने का आग्रह किया।’

धोनी ने दावा किया कि कुमार ने उच्चतम न्यायालय पर सट्टेबाजी के मुद्दे के संबंध में सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट को देखते हुए ‘कानून के शासन से अपना ध्यान भटकाने’ का आरोप लगाया था। इसी तरह आईपीएस अधिकारी ने यह भी दावा किया था कि क्रिकेटर ने मद्रास उच्च न्यायालय में मामला दर्ज करने का एकमात्र उद्देश्य गैग ऑर्डर प्राप्त करने के लिए चुना था और कहा कि वरिष्ठ वकील की पसंद वादी के पीछे की साजिश के बारे में बताती है।

लिखित बयान को पढ़ने के बाद एजी पूरी तरह से आश्वस्त थे कि दलीलों में अनुचित आरोप लगाकर अदालती कार्यवाही को बदनाम करने का प्रभाव था। एजी ने आपराधिक अवमानना ​​को आगे बढ़ाने की सहमति देते हुए लिखा, ‘आगे का यह बयान कि यह आवाजों को दबा कर कार्टेल द्वारा नियंत्रण को नुकसान पहुंचाने की साजिश है, दुर्भावनापूर्ण है। उपरोक्त कथन एक संकेत है कि उच्च न्यायालय भी कार्टेल में है।’

Exit mobile version