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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूर्व राज्यपाल कोश्यारी बोले – ‘मुझे जो सही लगा, मैंने किया’

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नई दिल्ली, 11 मई। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हु महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा है कि तात्कालिक परिस्थितियों में उन्हें जो सही लगा, उन्होंने किया। कोश्यारी ने साथ ही यह भी कहा कि वह कानून के जानकार नहीं हैं, लेकिन संसदीय परंपरा से बखूबी परिचित हैं।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में तत्कालीन राज्यपाल की भूमिका को गलत बताया है। कोश्यारी बोले, ‘मैं राज्यपाल पद से मुक्त हो चुका हूं। तीन महीने हो चुके हैं। राजनीतिक मसलों से अपने को बहुत दूर रखता हूं। जो मसला सुप्रीम कोर्ट में था, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय दे दिया है। उस निर्णय पर जो कानूनविद् हैं, वे ही अपनी राय व्यक्त करेंगे।’

मैं कानून का विद्यार्थी नहीं, केवल संसदीय परंपरा जानता हूं

भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, ‘मैं कानून का विद्यार्थी नहीं हूं, मैं केवल संसदीय परंपरा जानता हूं और विधायी परंपरा जानता हूं, उस हिसाब से जिस समय भी मैंने जो कदम उठाए, सोच-समझकर उठाए।’

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की मीडिया विवेतना करे

पत्रकारों से बातचीत में पूर्व राज्यपाल ने कहा, ‘जब किसी का इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि तुम मत दो इस्तीफा। अब सुप्रीम कोर्ट ने अगर कुछ कह दिया है तो आप लोगों का काम है कि कोर्ट ने सही कहा या गलत कहा, उसकी व्याख्या करना, विवेचना करना। यह एनालिस्ट का काम है। यह मेरा काम नहीं है।’

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पिछले वर्ष 30 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्यपाल द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहना सही नहीं था। हालांकि कोर्ट ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह भी कहा, ‘चूंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करके सही किया।’

महाराष्ट्र में पिछले वर्ष शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिरने और फिर उत्पन्न राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर सर्वसम्मति से अपने फैसले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला ‘अवैध’ था।

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