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एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. गुलेरिया बोले – संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उड़ानों पर पाबंदी लगाना प्रभावी नहीं

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नई दिल्ली, 24 दिसम्बर। चीन में कोरोना वायरस से एक बार फिर मचे हाहाकार के बीच भारत सरकार भी अलर्ट है और पिछले कुछ दिनों में एहतियातन कई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि, अभी देश में कोरोना के नए मामले नगण्य हैं और ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने या लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कुछ देशों में मामले बढ़ने के मद्देनजर निगरानी और सतर्कता मजबूत करना अनिवार्य है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘कुल मिलाकर कोविड के मामलों में वृद्धि नहीं हुई है और भारत अभी ठीक स्थिति में है। मौजूदा परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने या लॉकडाउन लागू करने की कोई आवश्यकता है। पहले के अनुभव दिखाते हैं कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उड़ानों पर पाबंदी लगाना प्रभावी नहीं है।’

मौजूदा परिदृश्य के मद्देनजर देश में लॉकडाउन की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती

डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘आंकड़े दिखाते हैं कि चीन में संक्रमण के तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार ओमिक्रॉन का बीएफ.7 उपस्वरूप हमारे देश में पहले ही पाया जा चुका है।’ यह पूछने पर कि क्या आगामी दिनों में लॉकडाउन की आवश्यकता है, उन्होंने कहा, ‘कोविड के गंभीर मामले बढ़ने और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना नहीं है क्योंकि टीकाकरण की अच्छी दर और प्राकृतिक रूप से संक्रमण होने के कारण भारतीयों में हाईब्रिड प्रतिरक्षा (हाईब्रिड इम्युनिटी) पहले ही विकसित हो चुकी है। मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए और लोगों के बीच हाईब्रिड प्रतिरक्षा की अच्छी-खासी दर होने के कारण लॉकडाउन की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है।’

डॉ. नीरज गुप्त बोले – भारत को अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत

वहीं सफदरजंग हॉस्पिटल में फेफड़े और गहन देखभाल विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज गुप्त ने कहा कि भारत को चीन तथा कुछ अन्य देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को देखते हुए अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है, लेकिन देश के मौजूद परिदृश्य को देखते हुए निकट भविष्य में लॉकडाउन जैसी स्थिति की परिकल्पना नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि ‘हाईब्रिड प्रतिरक्षा’ किसी व्यक्ति को भविष्य में होने वाले संक्रमण के खिलाफ अधिक सुरक्षित बनाती है।

डॉ. गुप्त ने यह भी कहा कि चीन अभी अधिक कमजोर स्थिति में है, जिसकी वजह कम प्राकृतिक प्रतिरक्षा, खराब टीकाकरण रणनीति हो सकती है, जिसमें बूढ़े और कमजोर आबादी के मुकाबले युवा और स्वस्थ लोगों को तरजीह दी गई। साथ ही चीनी टीकों को संक्रमण से बचाव में कम प्रभावी भी पाया गया है।

देश में कोविड की मौजूदा स्थिति नियंत्रण में, घबराने की कोई बात नहीं – डॉ. अरोड़ा

टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के अध्यक्ष डॉ. एन.के. अरोड़ा ने कहा कि भारत में कोविड की मौजूदा स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की कोई बात नहीं है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि लोगों को कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाना चाहिए और टीके की एहतियाती खुराक लेनी चाहिए।

स्मरण रहे कि जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, फ्रांस और चीन में मामले बढ़ने के बीच भारत ने निगरानी और कोविड संक्रमित नमूनों के जीनोम अनुक्रमण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। भारत की 97 प्रतिशत पात्र आबादी ने कोविड-19 रोधी टीके की पहली खुराक जबकि 90 प्रतिशत ने दूसरी खुराक ले ली है। हालांकि केवल 27 प्रतिशत आबादी ने एहतियाती खुराक हासिल की है।

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