लंदन, 20 मई। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने शनिवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपये के नोट के चलन को वापस लेने से समाज के आम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनकता कहना था कि 2000 के नोट आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल नहीं होते और इसकी नकदी सिर्फ 10 फीसदी ही चलन में है। ज्यादातर आम लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन करते हैं।
सुब्रमण्यन ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘जब एक आम आदमी कुछ खरीदने के लिए बाहर आता है, उदाहरण के लिए एक चाय वाले से चाय मंगवाने के लिए। ऐसा करते हुए चायवाले को अपनी जेब या किटी में पैसे खोजने की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी और ग्राहक तुरंत पेटीएम और फोनपे से लेनदेन कर सकता है।’
डिजिटल मनी का इस्तेमाल हर हिस्से में लगातार बढ़ रहा
उन्होंने कहा, ‘इसी तरह सुबह चायवाले को दूध देने वाला जब शाम को पैसा लेने आता है, तो दोनों पक्षों को अब इस झंझट से नहीं गुजरना पड़ता। डिजिटल लेनदेन के कारण उन्हें इससे नहीं गुजरना पड़ेगा। इससे आम लोगों को आसानी हुई है। इससे कई मुश्किलें कम होंगी। डिजिटल मनी का इस्तेमाल देश के हर हिस्से में हो रहा है और आगे चलकर यह बढ़ेगा।’
3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक का लेन-देन डिजिटल रूप से होता है
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘बीसीजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक का लेन-देन डिजिटल रूप से होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी लेनदेन का 65 प्रतिशत, या मूल्य के संदर्भ में प्रत्येक तीन लेनदेन में से दो, 2026 तक डिजिटल होने की उम्मीद है। आम आदमी द्वारा किया जाने वाला डिजिटल लेन-देन आगे चलकर और बढ़ेगा। इसलिए मुझे लगता है कि 2000 के नोट का असर समाज के आम लोगों पर नहीं पड़ेगा।’