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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा

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नई दिल्ली, 23 जनवरी। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, प्रमुख समाजवादी नेता और गरीबों व पिछड़ी जातियों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति भवन ने दिवंगत नेता की 100वीं जयंती से एक दिन पहले सोमवार को यह घोषणा की।

जननायकके नाम से भी जाने जाते थे कर्पूरी ठाकुर

बिहार के समस्तीपुर में 24 जनवरी, 1924 जन्मे ठाकुर दो कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे। उनका निधन 64 वर्ष की अवस्था 17 फरवरी, 1988 को पटना में हुआ था। प्रशंसकों में ‘जननायक’ के नाम से लोकप्रिय कर्पूरी ने पिछड़ी जातियों के हितों की वकालत की। वह पिछड़ी जातियों को एकजुट करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने नवम्बर,1978 में बिहार में सरकारी सेवाओं में उनके लिए 26 प्रतिशत आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया। उनके प्रयासों ने 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के लिए मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए रास्ता तैयार किया।

अपनी लोकप्रियता के कारण कभी कोई चुनाव नहीं हारे

‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान कर्पूरी ठाकुर को जेल में डाल दिया गया था। 1952 में अपनी पहली जीत के बाद अपने सादे जीवन और सामाजिक न्याय के पक्षधर होने के कारण अपनी लोकप्रियता के कारण वह कभी कोई चुनाव नहीं हारे।

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की सराहना की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक, महान जन नायक कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं। यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन और समानता और सशक्तिकरण के समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है।”

पीएम मोदी ने आगे लिखा, ‘दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।’

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