नई दिल्ली, 29 जुलाई। देश के पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आशंका जताई है कि मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य’ विषय पर पत्रकारों से बातचीत में यह टिप्पणी की।
गौरतलब है कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है। राज्य के दो प्रमुख समुदाय मैतेयी और कुकी के बीच तनाव इतना बढ़ चुका है कि दोनों एक दूसरे के इलाके में भी नहीं जा रहे। सरकार, सेना और सुरक्षाबलों की तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में हिंसा की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
जनरल नरवणे ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि जो लोग जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए हैं और आवश्यक काररवाई करने की जिनकी जवाबदेही है, वे बेहतर ढंग से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह बात सिर्फ मैं नहीं कह रहा हूं।’
नरवणे ने साफ शब्दों में कहा कि पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों को पहले भी चीन से मदद मिलती रही है। मणिपुर में ड्रग्स की तस्करी का रैकेट भी लंबे समय से चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘राज्य में जारी हिंसा में वो लोग शामिल हो सकते हैं, जो इससे लाभान्वित होते हैं और वे नहीं चाहेंगे कि राज्य में सामान्य स्थिति लौटे क्योंकि जब तक यह अस्थिरता रहेगी, तब तक उन्हें लाभ होगा। यही एक कारण हो सकता है कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा इसे कम करने के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों के बावजूद हम हिंसा में लगातार इजाफा देख रहे हैं।’
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में गत तीन मई से जारी हिंसा सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी थम नहीं रही और यह अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। विपक्ष केंद्र सरकार पर इसे लेकर हमलावर है। बीते दिनों दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनका परेड निकालने का वीडियो वायरल होने के बाद तो राज्य में तनाव अपने चरम पर है।