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विदेश मंत्रालय का स्पष्टीकरण –  भारत ने शिनजियांग मुद्दे पर चीन के खिलाफ इसलिए नहीं किया मतदान

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर। भारत सरकार ने कहा है कि चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लेना ‘देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान में’ हिस्सा नहीं लेने के उसके दीर्घकालिक चलन पर आधारित है। विदेश मंत्रालय ने इस  बाबत शुक्रवार को एक स्पष्टीकरण भी जारी किया।

गौरतलब है कि भारत ने शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए यूएनएचआरसी में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा कि यह किसी देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लेने के उसके दीर्घकालिक चलन पर आधारित है।

भारत का मत – शिनजियांग के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए

हालांकि भारत सरकार ने स्पष्ट कहा कि चीन के शिनजियांग प्रांत के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। बागची ने कहा, ‘भारत सभी मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ऐसे मुद्दों से निबटने के लिए बातचीत का पक्षधर है। हमने चीन के शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों की चिंताओं का ओएचसीएचआर के आकलन का संज्ञान लिया है।’

17 के मुकाबले 19 मतों से खारिज हुआ मसौदा प्रस्ताव

स्मरण रहे कि 47 सदस्यीय यूएनएचआरसी में यह मसौदा प्रस्ताव खारिज हो गया क्योंकि 17 सदस्यों ने पक्ष में तथा चीन सहित 19 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। भारत, ब्राजील, मेक्सिको और यूक्रेन सहित 11 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मसौदा प्रस्ताव का विषय था – ‘चीन के शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा।’

मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, ब्रिटेन और अमेरिका के एक कोर समूह द्वारा पेश किया गया था और तुर्की सहित कई देशों ने इसे सह-प्रायोजित किया था। चीन में उइगर और अन्य मुस्लिम बहुल समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों को 2017 के अंत से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र के ध्यान में लाया जाता रहा है।

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