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मॉस्को में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन से की मुलाकात, व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर हुई अहम चर्चा

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मॉस्को, 21 अगस्त। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह मुलाकात उनके तीन दिवसीय रूस दौरे के दौरान हुई, जहां उन्होंने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 26वीं बैठक (IRIGC-TEC) की सह-अध्यक्षता की और भारत-रूस बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया। जयशंकर ने पुतिन से मुलाकात के दौरान भारत-रूस संबंधों को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में से एक बताया।

चीन व यूरोपीय देश रूस के बड़े आयातक, फिर भारत को निशाना बनाना हैरानी भरा

राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के पहले जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा की और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीन, रूस से तेल का सबसे बड़ा खरीदार है जबकि यूरोपीय संघ तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का सबसे बड़ा आयातक है, इसलिए केवल भारत को निशाना बनाना ‘हैरान करने वाला’ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, अमेरिकी तेल का भी आयात करता है, जिसकी मात्रा हाल के वर्षों में बढ़ी है।

वहीं द्विपक्षीय व्यापार को लेकर जयशंकर ने व्यापार संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया और कृषि, फार्मास्यूटिकल्स और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में भारत के निर्यात को बढ़ाने की जरूरत बताई, जिससे असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी। ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में व्यापार और निवेश को बनाए रखना दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। क्षेत्रीय मुद्दों पर, दोनों नेताओं ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और अफगानिस्तान की स्थिति पर विचार-विमर्श किया। जयशंकर ने दोहराया कि भारत की नीति संवाद और कूटनीति के माध्यम से विवादों के समाधान पर केंद्रित है।

रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ भी वार्ता

जयशंकर ने रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ भी वार्ता की। इस दौरान उन्होंने लॉजिस्टिक बाधाओं को दूर करने, नॉन-टैरिफ रुकावटें हटाने, नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारा मंत्र अधिक करना और अलग तरीके से करना होना चाहिए।’

विदेश मंत्री ने बिना नाम लिए कहा कि यह बातचीत जटिल जियोपॉलिटिकल हालात की पृष्ठभूमि में हो रही है, लेकिन भारत और रूस नेतृत्व स्तर पर नज़दीकी और नियमित संवाद बनाए हुए हैं।

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