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UNGA में बोले विदेश मंत्री जयशंकर – भारत फैसले खुद लेता है, आगे भी अपने विकल्प के चुनाव की आजादी कायम रखेगा

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संयुक्त राष्ट्र, 28 सितम्बर। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर अपने बेबाक बोल से भारत का डंका बजा दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच पर उन्होंने कहा कि भारत अपने फैसले खुद लेता है और अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता आगे भी हमेशा कायम रखेगा।

आत्मनिर्भरता‘, ‘आत्मरक्षाऔर आत्मविश्वास के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा भारत

जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “भारत के लोगों की ओर से नमस्कार। भारत समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांतों – ‘आत्मनिर्भरता’, ‘आत्मरक्षा’ और ‘आत्मविश्वास’ पर आगे बढ़ रहा है। ‘आत्मनिर्भरता’ का अर्थ है, अपनी क्षमताएं बढ़ाना, अपनी ताकत बढ़ाना और अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ने देना। चाहे विनिर्माण क्षेत्र में हो, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हो, दवाइयों के उत्पादन में हो या डिजिटल अनुप्रयोगों में हो, हम इसके परिणाम देख ही रहे हैं। भारत में निर्माण और नवाचार से विश्व को भी लाभ होता है।’’

भारत अपने लोगों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध

जयशंकर ने ‘आत्मरक्षा’ का जिक्र करते हुए कहा, “भारत अपने लोगों की रक्षा और देश व विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका मतलब आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करना, हमारी सीमाओं की मजबूत सुरक्षा, विभिन्न देशों के साथ साझेदारी कायम करना और विदेश में अपने समुदाय की सहायता करना है। वहीं ‘आत्मविश्वास’ का तात्पर्य है कि सबसे अधिक आबादी वाले देश, और तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में हमें पता हो कि फिलहाल हम कहां है और भविष्य में हमें कहां होना है।”

भारत सदैव ग्लोबल साउथ की आवाज बना रहेगा

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा। इसके साथ ही सदैव ग्लोबल साउथ की आवाज बना रहेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में, जब यूक्रेन और पश्चिम एशिया में दो अहम संघर्ष जारी हैं तो यह प्रश्न अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या संयुक्त राष्ट्र अपेक्षाओं पर खरा उतरा है।

संघर्षरत देशों से दुश्मनी तोड़ने का आह्वान

जयशंकर ने कहा, ‘भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और शांति बहाल करने में मदद करने वाली किसी भी पहल का समर्थन करेगा।’ उन्होंने कहा कि ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, विशेष रूप से 2022 के बाद से संघर्ष और व्यवधान की सबसे अधिक शिकार रही हैं।

विदेश मंत्री ने व्यापार के मुद्दे पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘अब हम शुल्क में अस्थिरता और अनिश्चित बाजार का सामना कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, जोखिम से बचना अहम होता जा रहा है, चाहे वह आपूर्ति के सीमित स्रोतों से हो या किसी खास बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से।’ उनकी यह टिप्पणी दुनियाभर के देशों पर अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिसमें 25 प्रतिशत शुल्क रूस से तेल की खरीद पर लगाया गया है।

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