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राज्यसभा चुनाव : गुजरात से विदेश मंत्री जयशंकर, केसरीदेव सिंह जाला और बाबूभाई देसाई का निर्विरोध निर्वाचन तय

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अहमदाबाद, 12 जुलाई। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के राज्यसभा के लिए गुजरात से नामांकन दाखिल करने के दो दिन बाद बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो और उम्मीदवारों – केसरी सिंह झाला और बाबूभाई देसाई ने भी उच्च सदन के लिए अपने नामांकन पत्र दाखिल किए।

वस्तुतः गुरजात से तीन राज्यसभा सीटों के लिए 24 जुलाई को प्रस्तावित चुनाव लगभग एकतरफा होगा क्योंकि कांग्रेस ने यह कहते हुए किसी भी उम्मीदवार को मैदान में न उतारने का फैसला किया है कि उसके पास लड़ने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है।

केसरी सिंह झाला और बाबूभाई देसाई ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी. आर. पाटिल के साथ दोपहर में राज्य विधानसभा भवन में निर्वाचन अधिकारी रीता मेहता को अपने नामांकन प्रपत्र सौंपे। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 13 जुलाई है और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 17 जुलाई है। यदि आवश्यक हुआ तो मतदान 24 जुलाई को होगा।

केसरी सिंह झाला दिवंगत कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री दिग्विजय सिंह झाला के बेटे हैं। वह सौराष्ट्र के वांकानेर के शाही राजपूत परिवार से सम्बद्ध हैं। वह पिछले कई सालों से भाजपा में सक्रिय रहे हैं। वहीं देसाई उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले में कांकरेज के पूर्व विधायक (2007-2012) हैं और ‘मालधारी’ (पशुपालक) समुदाय से आते हैं।

गुजरात की 11 राज्यसभा सीटों में 8 पर भाजपा का कब्जा

जयशंकर की बात करें तो चार साल पहले उन्होंने पहली बार गुजरात से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने सोमवार को दूसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया। गुजरात की 11 राज्यसभा सीटों में से आठ पर वर्तमान में भाजपा और शेष तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा के कब्जे वाली आठ सीटों में से एस. जयशंकर, जुगलजी ठाकोर और दिनेश अनावाडिया का कार्यकाल 18 अगस्त को समाप्त हो जाएगा।

संख्याबल के अभाव में कांग्रेस पहले ही चुनाव मैदान से हट चुकी है

कांग्रेस ने पहले ही कह दिया था कि वह गुजरात की तीन राज्यसभा सीट के लिए चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी। क्योंकि 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में उसके पास पर्याप्त विधायक नहीं हैं। पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने रिकॉर्ड 156 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस ने राज्य के गठन के बाद से अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया और वह सिर्फ 17 सीटें हासिल कर पाई थी।

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