वाराणसी, 26 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चारा घोटाले का मामला सामने आया है। यहां सीएम निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना में निराश्रित गायों के चारे के नाम पर हर माह फर्जी भुगतान लिया जाता रहा।
मामला यहीं तक सीमित नहीं है वरन 132 गायों का अस्तित्व पशुपालन विभाग की सूची में तो है, लेकिन मौके पर गायों के नहीं मिलने से खलबली है। विभाग से हर माह इन गायों के चारे के नाम पर नौ-नौ सौ रुपये का भुगतान होता रहा। इस तरह हर माह एक लाख से ज्यादा रुपये निकाले जाते रहे। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल की जांच में इस गड़बड़झाले की जानकारी सामने आई है।
28 लोगों ने गाय मिलने से ही इनकार कर दिया
पशुपालन विभाग ने सीडीओ के पास एक सूची भेजी थी। इसमें एक वर्ष के अंदर 1233 लोगों को देखभाल के लिए 2383 गोवंश देने का दावा किया गया था। सीडीओ ने उस सूची में दिए गए नाम-पते पर भौतिक सत्यापन कराया। पशुपालक बताए गए 28 लोगों ने गाय मिलने से ही इनकार कर दिया।
दूसरी तरफ 25 लोगों ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन बाद ही पशु लौटा दिए थे। 79 लोगों ने कहा कि उन्हें मिली गायों की मौत हो गई है। यह सब जानकर सीडीओ चकित रह गए। अब सवाल यह है कि इन 132 गायों के नाम पर किन लोगों को हर माह 900 रुपये दिए जाते रहे?
132 गायों के नाम पर किन लोगों को हर माह भुगतान किया गया?
यह सवाल भी है कि जिन्हें गाय मिलीं नहीं और जिन्होंने लौटा दी, वे गायें अब कहां हैं? इन 132 गायों को जिले के अलग-अलग ब्लॉकों में गोपालकों को देना दिखाया गया है। हिमांशु नागपाल का कहना है कि सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की काररवाई की जाएगी।