नई दिल्ली, 23 अगस्त। केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी खंड 1 और 2) का शुभारंभ किया, जो केंद्रीय मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की परिसंपत्ति मुद्रीकरण पाइपलाइन है। यह पाइपलाइन नीति आयोग द्वारा अवसंरचना से संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से विकसित की गई है, जो केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण’से जुड़े अधिदेश पर आधारित है। एनएमपी के तहत वित्तीय वर्ष 2022 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025 तक की चार वर्षों की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य परिसंपत्तियों के जरिए छह लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रीकरण क्षमता का अनुमान लगाया गया है।
एनएमपी पर रिपोर्ट के खंड 1 और 2 को उपाध्यक्ष (नीति आयोग), सीईओ (नीति आयोग) और पाइपलाइन के तहत शामिल अवसंरचना से संबंधित मंत्रालयों यथा सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन व प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, पोत परिवहन, पत्तन एवं जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य व सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालयों के सचिवों के साथ-साथ सचिव (आर्थिक कार्य विभाग) और सचिव (निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग) की उपस्थिति में जारी किया गया।
रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है एनएमपी
निर्मला सीतारमण ने पाइपलाइन का शुभारंभ करते हुए कहा, ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम हमारे माननीय प्रधानमंत्री के विजन से ही सटीक स्वरूप ले पाया है, जो सदैव भारत के समस्त आम नागरिकों के लिए बेहतरीन और किफायती बुनियादी ढांचागत सुविधाओं तक पहुंच में विश्वास करते हैं। मुद्रीकरण के माध्यम से सृजन के दर्शन पर आधारित परिसंपत्ति मुद्रीकरण का उद्देश्य नई बुनियादी ढांचागत सुविधाओं या अवसंरचना के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के निवेश का उपयोग करना है। यह रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है, जिससे आर्थिक विकास की गति को तेज करने के साथ-साथ समग्र जन कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को निर्बाध रूप से एकीकृत करना भी संभव हो सकेगा।’
निर्मला ने वर्तमान सरकार द्वारा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के त्वरित विकास और निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए लागू किए गए समस्त सुधारों और पहलों के बारे में भी बताया। इसमें हाल ही में शुरू की गई ‘पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना’ शामिल है, जिसके तहत राज्य सरकारों को नई या पहले से अविकसित (ग्रीनफील्ड) अवसंरचना के विकास में तेजी लाने के लिए राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों का दोबारा उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम के समग्र कार्यान्वयन और निगरानी के लिए एक बहुस्तरीय संस्थागत तंत्र के एक अंग के रूप में, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में परिसंपत्ति मुद्रीकरण से संबंधित सचिवों के एक अधिकार प्राप्त कोर ग्रुप (सीजीएएम) का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य ‘सर्वोत्तम श्रेणी के बुनियादी ढांचे के माध्यम से आम नागरिकों की समावेशिता और सशक्तिकरण’ के व्यापक और दीर्घकालिक सपने को पूरा करना है।