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भारत व वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट आज से, द्रविड़ बोले – ‘जब भी हम प्लेइंग 11 चुनते हैं, लोगों को निराश कर देते हैं’

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रोसेयु (डोमिनिका), 12 जुलाई। भारत व वेस्टइंडीज के बीच यहां विंडसर पार्क में बुधवार से भारतीय समयानुसार शाम 7.30 बजे से पहला क्रिकेट टेस्ट खेला जाना है। आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के मौजूदा चक्र में दोनों टीमों का यह पहला टेस्ट होगा।

हालांकि दो टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले के लिए भारतीय एकादश में कुछ उन खिलाड़ियों को जगह नहीं मिल सकी, जिन्होंने घरेलू क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके चलते चयन समिति और टीम प्रबंधन को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। मसलन, सरफराज खान और चेतेश्वर पुजारा को बाहर किए जाने पर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई प्रशंसकों ने सवाल उठाए हैं।

फिलहाल टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसे चुना गया है। प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग निराश रहेगा क्योंकि केवल 15 खिलाड़ी ही हैं, जो टीम का हिस्सा बन सकते हैं और इस प्रकार कभी-कभी कुछ अच्छे क्रिकेटरों को बाहर किया जाता है।

वैसे द्रविड़ ने स्वीकार किया कि प्रबंधन कभी-कभी निर्णय लेने में कुछ गलतियां करता है। उन्होंने कहा कि वह हर समय परिपूर्ण नहीं होते हैं, लेकिन अंततः उन्हें खिलाड़ियों के चूकने पर बुरा लगता है क्योंकि उनके व्यक्तिगत संबंध हैं और कई लोगों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।

द्रविड़ ने ‘क्रेड क्यूरियस’ के एपिसोड के दौरान कहा, ‘आप व्यक्तिगत स्तर पर भी उन सभी लोगों की परवाह करते हैं, जिन्हें आप प्रशिक्षित करते हैं और आप व्यक्तिगत संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं। आप उन्हें एक इंसान के रूप में प्रशिक्षित करना चाहते हैं, न कि क्रिकेट खिलाड़ियों के रूप में। और जब आप ऐसा करते हैं, तो आप चाहते हैं कि वे सभी सफल हों। लेकिन साथ ही, आपको यथार्थवादी होना होगा और यह महसूस करना होगा कि उनमें से सभी सफल नहीं होंगे। कभी-कभी आपको कठिन और कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं।’

राहुल द्रविड़ ने कहा, ‘जब भी हम प्लेइंग 11 चुनते हैं, हम लोगों को निराश करते हैं, कुछ और भी हैं, जो नहीं खेल रहे हैं। जब भी हम किसी टूर्नामेंट के लिए 15 चुनते हैं, तो बहुत सारे लोग होते हैं, जो महसूस करते हैं कि उन्हें वहां होना चाहिए। और आप भावनात्मक स्तर पर उनके लिए बुरा महसूस करते हैं। लेकिन कम से कम हम सब प्रयास करें। मैं यह नहीं कहता कि मैं इसमें निपुण हूं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं इसे हर समय सही पाता हूं क्योंकि इसका आप पर असर पड़ता है। कोचिंग या टीमों का नेतृत्व करने का यह सबसे कठिन हिस्सा है – उन लोगों के बारे में कठिन निर्णय लेना, जिन्हें आप वास्तव में सफल होना और अच्छा करना चाहते हैं। लेकिन आप नियम से बाध्य होकर केवल इतने ही खिलाड़ियों को चुन सकते हैं।’

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