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वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा- पीएम जनधन योजना से रूपांतरकारी और दिशात्मक बदलाव हुआ

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नई दिल्ली, 28 अगस्त। सभी देशवासियों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने और सरकारी लाभों के सीधे लाभार्थियों तक पहुंचने के उद्देश्य से शुरू की गयी प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के सात वर्ष पूरे होने पर आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सात वर्षों की छोटी सी अवधि में पीएमजेडीवाई की अगुवाई में किए गए उपायों ने रूपांतरकारी और दिशात्मक बदलाव पैदा किया है, जिसने उभरते हुए वित्तीय संस्थानों के इकोसिस्टम को समाज के अंतिम व्यक्ति-सबसे गरीब व्यक्ति को वित्तीय सेवाएं देने में सक्षम बनाया है।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएमजेडीवाई के अंतर्निहित स्तंभों यानी बैंकिंग सेवा से अछूते रहे लोगों को बैंकिंग सेवा से जोड़ने, असुरक्षित को सुरक्षित बनाने और गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण करने जैसे कदमों ने वित्तीय सेवाओं से वंचित और अपेक्षाकृत कम वित्तीय सेवा हासिल करने वाले इलाकों को सेवा प्रदान करने के क्रम में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बहु-हितधारकों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना संभव बनाया है।

सीतारमण ने कहा कि उनका मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। समावेशी विकास का प्रवर्तक होने के नाते वित्तीय समावेशन इस सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कदम गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक रास्ता प्रदान करता है और उन्हें गांवों में अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है। यह वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएमजेडीवाई की घोषणा की थी और 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए इस योजना को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति के उत्सव के रूप में निरूपित किया था।

वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड ने कहा कि पीएमजेडीवाई न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में वित्तीय समावेशन की दिशा में सबसे दूरगामी पहलों में से एक है। समावेशी विकास का प्रवर्तक होने के नाते वित्तीय समावेशन इस सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। यह गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक रास्ता प्रदान करता है और उन्हें अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर प्रदान करता है।

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