नई दिल्ली, 30 जुलाई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए मंगलवार को लोकसभा में राज्यवार आंकड़े रखते हए विपक्ष पर भरपूर निशाना साधा। उन्होंने आंकड़ों के जरिए ही कांग्रेस और टीएमसी पर हमला करते हुए कहा कि बजट में राज्यों का नाम नहीं लेने पर जो सवाल पूछे जा रहे हैं, उसका हिसाब तो देख लीजिए।
मिंटो रोड पर जब प्रिंटिंग प्रेस था, स्टाफ वहां जाते थे, बजट प्रेजेंट होने तक बाहर नहीं आते थे. आज भी वो सिस्टम बरकरार है. अच्छा काम शुरू करने से पहले मुंह मीठा करने की प्रथा है. पहले 8 दिन – 9 रात्रि, अब 4 दिन – 5 रात्रि वहां रहना पड़ता हैः #LokSabha में FM @nsitharaman#Halwa pic.twitter.com/IMKDLDOCnL
— SansadTV (@sansad_tv) July 30, 2024
यूपीए सरकार के बजट के आंकड़े दिखा कांग्रेस से पूछा जवाब
आंकड़ों के जरिए निर्मला सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में 2004-05 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने 17 राज्यों का नाम नहीं लिया। क्या उन सभी 17 राज्यों को पैसा नहीं मिला। अगले साल 2005-2006 के बजट में 18 राज्यों का नाम नहीं था। उसके अगले साल 2006-2007 में 13 राज्यों का नाम नहीं गिनाया। उसके बाद 2007-2008 में 16 राज्यों का नाम नहीं था भाषण में फिर उसके बाद अगले वित्त वर्ष में 2008-2009 में 13 राज्यों का नाम नहीं था। 2009-2010 में 26, 2010-2011 में 19, 2012-2013 में 16 और 2013-2014 में 10 राज्यों का नाम बजट में शामिल नहीं था। क्या यूपीए कार्यकाल के पहले और यूपीए के दूसरे कार्यकाल में राज्यों का नाम नहीं था तो बजट नहीं मिला।
टीएमसी पर भड़कीं – ‘आपके पास सवाल मुझसे पूछने की हिम्मत है‘
महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यदि बजट में इसके नाम की घोषणा नहीं की गई तो क्या महाराष्ट्र को नजरअंदाज कर दिया गया। वधावन बंदरगाह को 76,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। टीएमसी पर निशाना साधते हुए सीतारमण ने कहा, ‘कल टीएमसी ने बजट पर सवाल उठाया कि पश्चिम बंगाल को कुछ नहीं दिया गया है। पीएम मोदी द्वारा दी गई कई योजनाएं बंगाल में लागू भी नहीं की गई हैं और अब आपके पास मुझसे पूछने की हिम्मत है।’
सीतारमण ने कहा, ‘सरकार के अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय के कारण कोविड महामारी के बाद भारत ने ऊंची वृद्धि हासिल की और आज हमारा देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है।’
दुनिया में सबसे तेज वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख देश का दर्जा बरकरार
निर्मला ने कहा, ‘हमारी आर्थिक वृद्धि न केवल बेहतर है बल्कि हम राजकोषीय घाटे को कम करने के रास्ते पर भी हैं। 2023-24 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है और भारत ने दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख देश का दर्जा बरकरार रखा है। हम राजकोषीय मजबूती के तहत 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में इसके 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका श्रेय बेहतर अर्थव्यवस्था प्रबंधन को जाता है।’
शिक्षा के लिए पहले से अधिक इस बार बजट
वित्त मंत्री ने विपक्षी दलों के सामाजिक क्षेत्रों के लिए आवंटन कम करने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बजट दस्तावेज इसके उलट बयां करता है। शिक्षा क्षेत्र के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले वित्त वर्ष से ज्यादा है।