वॉशिंगटन, 16 अक्टूबर। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार गिरावट के बीच कहा है कि रुपये ने अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है बल्कि डॉलर के मजबूत होने के कारण रुपये की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रुपया हाल में डॉलर के मुकाबले 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया था।
Union Finance Minister Smt. @nsitharaman and President World Bank Group Mr. @DavidMalpassWBG met today, in Washington DC. (1/6) pic.twitter.com/YH0tPukTIP
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) October 15, 2022
निर्मला सीतारमण ने शनिवार को यहां कहा, ‘रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है। लेकिन दूसरी मार्केट करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था कि बहुत अधिक अस्थिरता न हो और इसलिए भारतीय मुद्रा के मूल्य को फिक्स करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप नहीं कर रहा था।
Smt @nsitharaman interacts with group of Indian-overseas scholars & students from various US universities – University of Maryland, Harvard University, American University, Georgetown University & Princeton University – in Washington DC. Shri @GVLNRAO– MP (RS) is also present. pic.twitter.com/pSUCosqZs3
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) October 16, 2022
गिरावट से निबटने के लिए किए जा रहे उपायों पर निर्मला ने कहा, ‘जाहिर है कि अन्य सभी मुद्राएं भी अमेरिकी डॉलर की मजबूती के सामने प्रदर्शन कर रही हैं। यह तथ्य है कि भारतीय रुपया शायद इस अमेरिकी डॉलर की दरों में बढ़ोतरी के सामने ठीक प्रदर्शन कर रहा है। भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।’
अस्थिरता को नियंत्रित करना ही आरबीआई का एकमात्र प्रयास
सीतारमण ने कहा, ‘आरबीआई के प्रयास यह देखने के लिए अधिक हैं कि बहुत अधिक अस्थिरता नहीं हो, उसे रुपये के मूल्य को तय करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप नहीं करना है। अस्थिरता को नियंत्रित करना ही एकमात्र प्रयास है, जिसमें आरबीआई शामिल है और मैंने यह पहले भी कहा है रुपया अपना स्तर प्राप्त कर लेगा।’
उन्होंने कहा अमेरिकी डॉलर के लगातार महंगे होते जाने की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि जनवरी, 2022 से ही मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के ऊपरी सहिष्णुता स्तर से ऊपर बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल की शुरुआत में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उत्पन्न वैश्विक तनाव से शुरू होने वाले प्रतिकूल वैश्विक विकास से अवमूल्यन का ताजा दौर शुरू हुआ है।