लखनऊ, 17 सितम्बर। पेट्रो कीमतों में कमी की उम्मीद लगाए बैठी आम जनता को एक बार फिर निराशा हाथ लगी, जब शुक्रवार को यहां वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 45वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाएगा।
गौरतलब है कि एक जुलाई, 2017 को जब जीएसटी लागू हुआ था तो केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने राजस्व के मद्देनजर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा था। इस पर केंद्र सरकार व राज्य सरकारें अपने-अपने यहां अलग-अलग कर लगाती हैं और उससे आने वाला पैसा सरकारी खजाने में जाता है।
करोड़ों की कीमत वाली जीवनरक्षक दवाओं को जीएसटी से छूट
निर्मला सीतारमण ने अन्य फैसलों के बारे में बताया कि कुछ जीवनरक्षक दवाओं को जीएसटी से छूट दी गई है। ये दवाएं कोरोना से जुड़ी नहीं हैं, लेकिन बेहद महंगी हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी दो दवाओं के नाम ले रही हूं, जो बेहद महंगी हैं। ये हैं जोलगेंज्मा और विलटेस्पो। इन दोनों की कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है। काउंसिल ने इन पर जीएसटी में छूट देने का फैसला लिया है।’
कोरोना की दवाओं पर जीएसटी में छूट 31 दिसंबर तक बढ़ी
इसी क्रम में परिषद ने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल दवाओं पर जीएसटी में छूट 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है। इसके अलावा कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा पर जीएसटी 12 से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है। वाहनों के लिए रेट्रो फिटमेंट किट पर भी जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है। यह किट दिव्यांगों द्वारा इस्तेमाल की जाती है।
ज्ञातव्य है कि जून में हुई पिछली बैठक में परिषद ने दो महत्वपूर्ण दवाओं पर अप्रत्यक्ष कर में छूट दी थी और कोविड के इलाज से जुड़े कई सामानों पर टैक्स 5 फीसदी कर दिया था। इसके साथ ही कोरोना वैक्सीन पर भी जीएसटी की दर 5 फीसदी बरकरार रखने का फैसला लिया गया था।