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जम्मू-कश्मीर : परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट जारी, केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव की सुगबुगाहट शुरू

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श्रीनगर, 5 मई। जम्मू-कश्मीर पर तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने अपना कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सीटों के पुनर्निर्धारण से संबंधित अपने अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है।

राजपत्रित अधिसूचना के माध्यम से जारी किया जाएगा आदेश

अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस आदेश की एक प्रति और रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की जाएगी, जिसमें निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या और उनके आकार का विवरण शामिल होगा। इसके बाद एक राजपत्रित अधिसूचना के माध्यम से आदेश जारी किया जाएगा।

सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व वाले आयोग ने केंद्रशासित प्रदेश में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 24 सीटें हैं, जो हमेशा रिक्त रहती हैं। आयोग ने जम्मू के लिए छह और कश्मीर के लिए एक अतिरिक्त सीट का भी प्रस्ताव रखा है।

पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें आरक्षित

परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नामांकन के माध्यम से कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों के प्रतिनिधित्व की भी सिफारिश की है। पहली बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए भी कुल नौ सीटें आरक्षित होंगी।

जम्मू कश्मीर विधानसभा की नई प्रस्तावित तस्वीर

अब तक कश्मीर संभाग में 46 और जम्मू संभाग में 37 सीटें हैं। मार्च, 2020 में गठित आयोग को पिछले वर्ष एक वर्ष का विस्तार दिया गया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त, परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य हैं। गत फरवरी में, आयोग का कार्यकाल फिर से दो महीने के लिए बढ़ाया गया। पहले इसका कार्यकाल छह मार्च को समाप्त होना था।

अक्तूबर में कराए जा सकते हैं विधानसभा चुनाव

परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समझा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अक्तूबर तक हो सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फरवरी में कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है। ऐसे में अगले छह से आठ महीने में विधानसभा के चुनाव होंगे। इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है।

ऐसा भी माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव अमरनाथ यात्रा के बाद कराना ज्यादा मुफीद होगा क्योंकि यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्रीय बल प्रदेश में पहले से ही मौजूद रहेंगे। ऐसे चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त तामझाम भी नहीं करना होगा।