नई दिल्ली, 12 जून। केंद्र सरकार ने कोरोनारोधी दो विदेशी वैक्सीन – फाइजर व मॉडर्ना को सरकारी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं करने का मन बनाया है। इसका यह मतलब हुआ कि सरकारी केंद्रों पर ये टीके मुफ्त में नहीं लगेंगे। केंद्र सरकार की भूमिका इन दोनों टीकों को मंगाने में मदद करने तक सीमित रहेगी।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्र की दोनों कम्पनियों से बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। संभव है कि जुलाई तक फाइजर का टीका भारत में उपलब्ध हो जाए। बताया जाता है कि दोनों टीकों की कीमत ज्यादा है। इस वजह से उनकी कम खरीद की जाएगी। साथ ही सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम में उनके शामिल किए जाने की संभावना भी नगण्य रहेगी।
ज्यादातर निजी अस्पतालों में उपलब्ध रहेंगे फाइजर व मॉडर्ना के टीके
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार इन विदेशी टीकों की खरीद में मदद जरूर करेगी क्योंकि दोनों कम्पनियों ने कहा है कि वे केवल संप्रभु सरकारों से ही सौदे करती हैं। लेकिन ये टीके अधिकतर निजी अस्पतालों में उपलब्ध होंगे।’
इन दोनों टीकों को मुफ्त में उपलब्ध न कराए जाने के पीछे एक बड़ी वजह कोल्ड चेन मैनेजमेंट की है। दोनों टीकों को शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर स्टोर करना होता है। ऐसा केवल बड़े अस्पतालों में संभव है। यानी अगर सरकार ये टीके मुफ्त में देना चाहे तो उसे बड़े पैमाने पर देश में कोल्ड चेन पर निवेश करना होगा।
हालांकि सरकार को उम्मीद है कि इन टीकों की उपलब्धता से सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम का लोड कम होगा। जो लोग सक्षम हैं, वे निजी अस्पतालों में जाकर ये टीके लगवा सकेंगे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार इस महीने से टीकाकरण की रफ्तार तेज करना चाहती है ताकि तीसरी लहर से बचा जा सके। एक अधिकारी ने कहा, ‘लक्ष्य चुनौतीपूर्ण जरूर है क्योंकि हम कम से कम 40 फीसदी वयस्क आबादी को एक डोज तो लगा दी देना चाहते हैं। इसके लिए हमें वैक्सीन की खरीद बढ़ानी होगी। अगर हमें पहुंच बढ़ानी है तो और टीकों की जरूरत पड़ेगी। फाइजर और माडर्ना जैसे महंगे टीकों में निवेश तर्कसंगत नहीं लगता।’