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कोरोना से लड़ाई : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी 2 हजार ऑक्सीजन कंसट्रेटर का योगदान करेगा

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नई दिल्ली, 24 मई। कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रयासों के तहत भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने फिर मदद का हाथ बढ़ाया है और उसने जरूरतमंदों के लिए 10 लीटर वाले दो हजार ऑक्सीजन कंसट्रेटर (सांद्रक) के योगदान का फैसला किया है। बीसीसीआई ने सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी।

ज्ञातव्य है कि भारत अभी कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है और मौजूदा समय प्रतिदिन संक्रमण के औसतन ढाई लाख नए केस सामने आ रहे हैं। हालांकि रिकवरी दर में तेजी से सुधार हो रहा है और प्रतिदिन औसतन साढ़े तीन लाख लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं।

बीसीसीआई ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, ‘बोर्ड इस उम्मीद के साथ अगले कुछ महीनों के दौरान पूरे भारत में ऑक्सीजन कंसट्रेटर उपलब्ध कराएगा कि जरूरतमंद मरीजों को महत्वपूर्ण चिकित्सा सहायता व देखभाल प्रदान की जाएगी और इससे महामारी का कहर कम किया जा सकेगा।’

बोर्ड अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने कहा, ‘बोर्ड इस तथ्य को भली भांति समझता है कि चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा समुदाय ने महामारी से निबटने में अहम भूमिका निभाई है और उसका यह अभियान जारी रहेगा। वे वास्तव में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं और हमें बचाने के लिए उन्होंने यथासंभव कोशिश की है। हम जो ऑक्सीजन सांद्रक उपलब्ध करा रहे हैं, उनसे प्रभावित लोगों को तत्काल राहत मिलेगी और वे तेजी से स्वस्थ होंगे।’

बीसीसीआई सचिव जय शाह ने भी उम्मीद जताई कि बोर्ड के प्रयास से देशभर में पैदा हुई मांग-आपूर्ति के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही शाह ने पात्र सभी लोगों से टीकाकरण के लिए आग्रह किया। ज्ञातव्य है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी बीसीसीआई ने मार्च, 2020 पीएम केयर्स फंड  में 51 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।

इस बीच  भारतीय क्रिकेट के दो सितारों, पांड्या बंधु – हार्दिक और क्रुणाल भी संकटकाल में मरीजों का इलाज कर रहे कोविड केंद्रों पर ऑक्सीजन सांद्रक भेज रहे हैं। क्रुणाल ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘सभी प्रभावित लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना के साथ ऑक्सीजन कंसट्रेटर्स का नया बैच कोविड केंद्रों पर भेजा जा रहा है।’

एक ऑक्सीजन सांद्रक चिकित्सकीय ऑक्सीजन का एक पोर्टेबल और लागत प्रभावी स्रोत है। यह जरूरतमंद मरीजों को निरंतर, स्वच्छ और केंद्रित ऑक्सीजन देने के लिए पर्यावरण से हवा खींचकर संचालित होता है।

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