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कोरोना से लड़ाई : वैक्सीन के बाद अब कोरोनारोधी दवा 2डीजी लॉन्च, डीआरएल इसे बाजार में उपलब्ध कराएगी

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नई दिल्ली, 17 मई। भयावह कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत में कोरोनारोधी दो टीकों (कोवैक्सीन व कोविशील्ड) के बाद अब एक गुणकारी दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज यानी 2डीजी भी पेश कर दी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को इस दवा की 10 हजार डोज का पहला बैच लॉन्‍च किया।

स्मरण रहे कि हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्विन, रेमडेसिविर, आइवरमेक्टिन जैसी तमाम दवाओं के कोविड-19 पर असर को लेकर पिछले साल से ही अनुंसधान होते रहे हैं, लेकिन 2डीजी पहली दवा है, जिसे एंटी कोविड ड्रग कहा जा रहा है।

2डीजी को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के इंस्टिट्यूट ऑफ न्‍यूक्लियर मेडिसिन ऐंड अलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) ने विकसित किया है। इसमें हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी (डीआरएल) के शोधकर्ताओं का भी योगदान है। डीआरएल ही आम जनता के लिए इस दवा को बनाएगी, जो एक पाउडर के रूप में उपलब्‍ध होगी। सूत्रों के मुताबिक इसकी कीमत 500 से 600 रुपये के बीच हो सकती है।

वस्तुतः पिछले वर्ष जब भारत में कोविड-19 की पहली लहर की शुरुआत हुई थी, तभी आईएनएमएएस के वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू कर दिया था। मई 2020 में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इस दवा के कोविड मरीजों पर दूसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी दे दी थी। ये ट्रायल अक्‍टूबर तक चले थे।

ट्रायल में सामने आया कि दवा कोविड मरीजों के लिए सुरक्षित है और रिकवरी में भी मदद करती है। नतीजों के बाद डीसीजीआई ने नवंबर, 2020 में इसके तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी दी। आखिरकार ट्रायल डेटा के आधार पर गत 9 मई को डीसीजीआई ने इस दवा के आपातकालीन इस्‍तेमाल को मंजूरी दे दी।

दरअसल, 2डीजी असल में 2डीजी अणु का एक परिवर्तित रूप है, जिससे ट्यूमर, कैंसर कोशिकाओं का इलाज होता है। ट्रायल में पता चला कि 2डीजी कोविड मरीजों के इलाज में तो कारगर है ही, अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को भी कम करती है।

फिलहाल इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह उपयोग करने की अनुमति दी गई है। यानी यह मुख्य दवा के सहयोग में उपयोग में लाई जाएगी। यह दवा काफी हद तक ग्‍लूकोज जैसी है, मगर ग्‍लूकोज नहीं है। वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है, इसके लिए उसे ताकत चाहिए होती है, जो ग्‍लूकोज से मिलती है।

आईएनएमएएस के निदेशक डॉ. अनिल मिश्रा के अनुसार 2डीजी अपनी कॉपी बनाने वाले वायरस को कैद कर लेती है। यानी वायरस का कोई भी वैरिएंट हो, उसे खाने की जरूरत तो पड़ेगी ही और जैसे ही वह अपनी भूख मिटाने के लिए आगे बढ़ेगा, यह दवा उसे फंसा लेगी।

डॉ. मिश्रा के मुताबिक, यह दवा लेने के बाद ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ जाती है क्‍योंकि वायरस तेजी से मल्‍टीप्‍लाई होने लगता है। एक बार वह प्रक्रिया रुक गई तो ऑक्सीजन का संकट भी खत्‍म हो जाएगा।

आईएनएमएएस के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर चंदना ने बताया कि यह दवा एक सैशे के रूप में उपलब्‍ध होगी। जैसे आप ओआरएस को पानी में घोलकर पीते हैं, वैसे ही इसे भी पानी में मिलाकर ले सकेंगे। उन्‍होंने कहा कि यह दवा दिन में दो बार लेनी होगी। कोविड-19 मरीजों को पूरी तरह ठीक होने के लिए 5 से 7 दिन तक यह दवा देनी पड़ सकती है।

साइड इफेक्‍ट्स के बारे में पूछने पर डॉ. चंदना ने कहा कि ट्रायल के दौरान, सामान्‍य और गंभीर मरीजों को यह दवा दी गई। सभी मरीजों को इस दवा से फायदा ही हुआ, किसी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला। यह कहा जा सकता है कि इस दवा का कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है।

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