नई दिल्ली, 12 दिसम्बर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में दशकों तक लागू रहे अनुच्छेद 370 के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को दोषी ठहराने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा वालों को थोड़ा भी इतिहास के बारे में पता नहीं है।
‘भाजपा वालों को थोड़ा भी इतिहास के बारे में पता नहीं‘
फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को दावा किया कि भाजपा वालों को जानना चाहिए कि संसद में जम्मू-कश्मीर के लिए जब अनुच्छेद 370 का विशेष प्रावधान के लिए बैठक हो रही थी तो उस वक्त देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अमेरिका में थे।
अब्दुल्ला ने यह भी दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू कराने में तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का विशेष योगदान था और दोनों नेता 370 के तहत राज्य को विशेष संवैधानिक विशेषाधिकार देने की प्रक्रिया में शामिल थे।
‘भाजपा वालों के मन में पंडित नेहरू के खिलाफ इतना जहर क्यों है?’
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि भाजपा वालों के मन में पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ इतना जहर क्यों है। नेहरू अनुच्छेद 370 लागू करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे। जब अनुच्छेद 370 लाया गया था तो उस वक्त संसद में सरदार पटेल और और श्यामा प्रसाद मुखर्जी मौजूद थे और उसके पक्ष में थे जबकि नेहरू तो उस समय अमेरिका मे थे।’
सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर में तत्काल चुनाव कराने का केंद्र को निर्देश देना चाहिए
अब्दुल्ला ने यह उम्मीद भी जाहिर की कि सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर में तत्काल चुनाव कराने का केंद्र को निर्देश देगा। गौरतलब है कि सोमवार को देश की शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को रद करने को सही ठहराते हुए केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वो अगले वर्ष सितम्बर तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का चुनाव संपन्न कराएं। इस बाबत फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि कश्मीर में तत्काल चुनाव हों, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सितम्बर तक का समय दिया। यह कहां का न्याय है?’
इस सवाल पर कि क्या केंद्र को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस भारत में लेने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, अब्दुल्ला ने कहा, ‘उन्हें जरूर पीओके लेना चाहिए। उन्हें कौन रोक रहा है? सरकार को निर्णय लेना है। हम कौन होते हैं निर्णय लेने वाले?’