नई दिल्ली, 12 अगस्त। भारतीय मूल के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को पश्चिमी न्यूयॉर्क में उस समय जानलेवा हमला किया गया, जब वह एक कार्यक्रम में लेक्चर देने जाने वाले थे। 75 वर्षीय रुश्दी को मंच पर ही चाकू से गोदकर घायल कर दिया गया। उन्हें इलाज के लिए आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया।
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने कहा कि उसके रिपोर्टर ने चौटौक्वा इंस्टीट्यूशन में एक व्यक्ति को मंच पर आते देखा, जिसने लेखक रुश्दी को मुक्का मारा या छुरा घोंपा। उसने
किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज‘ लिखने पर ईरान ने दी थी जान से मारने की धमकी
गौरतलब है कि मुंबई में जन्में रुश्दी को उनकी विवादित किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ लिखने के लिए ईरान द्वारा जान से मारने की धमकी भी दी जा चुकी है। धमकी मिलने के 33 वर्षों बाद उनके साथ यह घटना हुई। ‘द सैटेनिक वर्सेज’ ईरान में 1988 से प्रतिबंधित है क्योंकि कई मुसलमान इसे ईशनिंदा मानते हैं।
ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला खुमैनी ने जारी किया था फतवा
ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था, जिसमें रुश्दी की मौत का आह्वान किया गया था। यही नहीं फतवे में रुश्दी को मारने वाले को 30 लाख डॉलर से अधिक का ईनाम देने की बात भी कही गई थी।
हालांकि ईरान की सरकार ने लंबे समय से खुमैनी के फरमान से खुद को दूर कर लिया, लेकिन रुश्दी विरोधी भावना बनी रही। वर्ष 2012 में एक अर्ध-आधिकारिक ईरानी धार्मिक फाउंडेशन ने रुश्दी के लिए ईनाम को 2.8 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर कर दिया था।
फिलहाल रुश्दी ने उस समय उस धमकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस तरह के ईनाम में लोगों की दिलचस्पी का ‘कोई सबूत नहीं’ था। उसके बाद रुश्दी ने फतवे के बारे में एक संस्मरण, ‘जोसेफ एंटोन’ भी प्रकाशित किया।