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प्रख्यात लोकगायिका शारदा सिन्हा का निधन, 72 वर्ष की उम्र में दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस

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नई दिल्ली, 5 नवम्बर। भोजपुरी की प्रख्यात लोक गायिका ‘पद्मभूषण’ शारदा सिन्हा का मंगलवार की रात यहां निधन हो गया। आस्था के महापर्व छठ पर गाए गए गीतों के जरिए लोकप्रियता के शिखर छूने वालीं 72 वर्षीया लोक गयिका ने छठ पूजा के पहले दिन दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली।

बेटे अंशुमन ने की इंस्टाग्राम पर पोस्ट में दी जानकारी

शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमन सिन्हा ने मां की तस्वीर शेयर करते हुए उनके निधन की खबर की पुष्टि कर दी है। सिंगर के इंस्टाग्राम अकाउंट पर फोटो पोस्ट करते हुए अंशुमन ने लिखा, ‘अंशुमन सिन्हा द्वारा किया गया पोस्ट। आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मइया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं।’

पटना में होगा शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार

शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह दिल्ली से पटना ले जाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार पटना में होगा, जहां परिवार समेत करीबी लोग लोक गायिका को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया है। शारदा संग फोटो शेयर करते हुए मोदी ने X पर लिखा, ‘सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!’

छठ के मौके पर रिलीज हुआ आखिरी गाना दुखवा मिटाईं छठी मइया

संयोग देखिए कि शारदा सिन्हा का अंतिम छठ गीत भी एक दिन पहले ही रिलीज किया गया था। हालांकि इस गाने की रिकॉर्डिंग पहले ही हो गई थी। लेकिन छठ के मौके पर ही उनके नए गीत रिलीज किए जाते थे और आज छठ के पर्व के पहले ही दिन गायिका ने दुनिया को अलविदा कह दिया। शारदा सिन्हा के नए छठ गीत का नाम ‘दुखवा मिटाईं छठी मइया’ है। यह उनका आखिरी छठ गीत साबित हुआ।

सोमवार को बिगड़ी तबीयत

उल्लेखनीय है कि सोमवार रात खबर आई थी कि शारदा सिन्हा की हालत गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। 2018 में उन्हें मल्टिपल मायलोमा होने की खबर सामने आई थी। ये एक घातक किस्म का ब्लड कैंसर है। तभी से लगातार उनका इलाज चल रहा था। इधर बीच गत 26 अक्टूबर को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, तब से तबीयत लगातार बिगड़ती ही चली गई।

अंशुमन ने दिन में मां की स्थिति को लेकर अपडेट भी शेयर किया था

शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया पर मां की हेल्थ को लेकर मंगलवार को दिन में अपडेट भी शेयर किया था। शारदा सिन्हा के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर लाइव आकर अंशुमन ने बताया था कि उनकी मां की हालत गंभीर है और डॉक्टर्स अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं।

अंशुमन ने भावुक होते हुए बताया था, ‘इस बार ये सच्ची खबर है। मां वेंटिलेटर पर हैं। अभी मैंने कन्सेंट साइन किया है, प्रार्थना जारी रखिए। बहुत बड़ी लड़ाई में मां जा चुकी हैं। मुश्किल है, काफी मुश्किल है। इस बार काफी मुश्किल है। बस, यही प्रार्थना कीजिए कि वो इससे बाहर आ सकें। ये रियल अपडेट है। अभी उनसे मिलकर आया हूं। छठी मां कृपा करें। अभी फिलहाल डॉक्टर्स मिले तो उन्होंने यही कहा है कि अचानक केस बिगड़ा है। अभी सब कोशिश कर रहे हैं।’

पति के निधन से सदमे में थीं शारदा सिन्हा

गौरतलब है कि गत सितम्बर में शारदा सिन्हा के पति, ब्रज किशोर का 80 वर्ष की उम्र में ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया था। इनकी शादी को 54 वर्ष हो चुके थे। मीडिया की खबरों में सामने आया कि पति के निधन से शारदा सिन्हा सदमे में हैं और तबसे उनकी तबीयत भी और बिगड़ी है। बताया जाता है कि अक्टूबर में जब उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया तो उन्हें खाने-पीने में भी समस्या होने लगी थी। हालांकि, इन चीजों पर हॉस्पिटल या उनके परिवार की तरफ से कोई ऑफिशियल जानकारी सामने नहीं आई थी।

बिहार कोकिलाशारदा सिन्हा

बिहार के सुपौल में एक अक्टूबर 1952 को जन्मीं शारदा सिन्हा ने अपने अधिकतर गाने मैथिली और भोजपुरी भाषाओं में गाए। उन्हें 1991 में ‘पद्मश्री’ और 2018 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें बिहार कोकिला और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। ‘बिहार कोकिला’ कही जाने वालीं शारदा ने बॉलीवुड समेत भोजपुरी फिल्मों के लिए भी गीत गाए, लेकिन वह प्रमुख तौर पर अपने छठ गीतों के लिए बहुत लोकप्रिय हुईं।

करिअर के दौरान कुल नौ एल्बम में 62 छठ गीत गाए थे

अपने पूरे करिअर में उन्होंने कुल नौ एल्बम में 62 छठ गीत गाए थे। उनके गीतों के बिना लोगों को छठ का त्यौहार अधूरा लगता है। अब इसे संयोग कहें या दुर्योग शारदा का निधन छठ महापर्व के पहले दिन हुआ है। निश्चित रूप से उनका निधन भोजपुरी लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

 

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