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आतंकवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक – ‘आतंकी नियम नहीं मानते, तो उनके खात्मे के भी कोई नियम नहीं’

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पुणे, 13 अप्रैल। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा है कि आतंकवाद किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में युवाओं के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निबटने का यही तरीका है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है, इसके लिए केवल हम जिम्मेदार हैं।

कश्मीर पर पाकिस्तान ने किया था आक्रमण

जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया और भारतीय सेना ने उसका डटकर मुकाबला किया और राज्य का एकीकरण हुआ। उन्होंने कहा कि जब भारतीय सेना अपनी काररवाई कर रही थी, हम रुक गए और संयुक्त राष्ट्र में चले गए। आतंकवाद को लेकर पहले नीतियां पूरी तरह से अलग थी।

विदेश नीति में बदलाव आया है

देश की विदेश नीति के बदलाव पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मेरा जवाब है…हां 50 फीसदी निरंतता है और 50 फीसदी बदलाव है। मुंबई हमले के बाद एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसने महसूस नहीं किया कि हमें जवाब नहीं देना चाहिए।’

आतंकवाद के खात्मे के लिए कोई नियम नहीं

आंतकवाद पर जयशंकर ने कहा, ‘आतंकवादियों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, इसलिए उन्हें कोई छू नहीं सकता। मैं आपको बता दूं आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं खेलते हैं, इसलिए हमारा मानना है कि आतंकवादियों को जवाब देने के लिए भी कोई नियम नहीं हो सकता।’

राजनयिक के रूप में हनुमान जी की तुलना

राजनयिक के रूप में भगवान हनुमान को कैसे देखा जा सकता है, इस सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि एक आदर्श राजनयिक पहले अपने स्वामी और देश का पक्ष प्रस्तुत करता है। इस दौरान वातावरण कभी-कभी अनुकूल होता है तो कभी नकारात्मक भी हो जाता है। दबाव के दौरान दूसरे देशों में अपना पक्ष कैसे रखें यही कूटनीति का सर्वोपरी बिंदु है। रामायण में भगवान बजरंग बली लंका गए थे, उन्होंने वहां चुनौती भरी परिस्थिति में भी भगवान राम का पक्ष मजबूती से रखा।