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‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना में तीनों सेनाओं का व्यापक समन्वय आवश्यक, बोले सीडीएस चौहान

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महू, 26 अगस्त। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि ‘सुदर्शन चक्र’ वायु रक्षा प्रणाली के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास करना होगा, जिसमें मिसाइलों और निगरानी प्रणालियों जैसी प्रमुख त्रि-सेवा सैन्य परिसंपत्तियों की एक श्रृंखला शामिल होगी ताकि एक अभेद्य सामरिक कवच बनाया जा सके।

जनरल चौहान ने यहां ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ में आयोजित ‘रण संवाद’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना के लिए ‘‘राष्ट्र-स्तरीय समग्र दृष्टिकोण’’ अपनाने की आवश्यकता होगी। उन्होंने संकेत दिया कि यह प्रणाली इजराइल की हर मौसम में काम करने वाली उस वायु रक्षा प्रणाली ‘आयरन डोम’ की तर्ज पर होगी जिसे एक प्रभावी मिसाइल शील्ड या मिसाइल रोधक के रूप में जाना जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर इस स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली को विकसित किए जाने की परियोजना की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य भारत के महत्वपूर्ण सैन्य एवं असैन्य प्रतिष्ठानों की रक्षा करना और दुश्मन की किसी भी धमकी का निर्णायक जवाब देना है।

यह घोषणा पाकिस्तान और चीन से उत्पन्न हो रही सुरक्षा चुनौतियों की पृष्ठभूमि में की गई थी। सीडीएस चौहान ने कहा कि इस परियोजना के तहत सेना को जमीन, वायु, समुद्री, पनडुब्बी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) तंत्र को एकीकृत करने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘तीनों सेनाओं द्वारा विभिन्न प्रणालियों को एकीकृत करने में अत्यधिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। इस परियोजना में व्यापक एकीकरण के साथ-साथ और कई क्षेत्रों को नेटवर्क से जोड़ना होगा ताकि सटीक स्थिति का आकलन संभव हो सके।’’

सीडीएस ने यह भी संकेत दिया कि ‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत कंप्यूटेशन, आंकड़ों के विश्लेषक, गहन आंकड़े और क्वांटम प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कथित रूप से यह संकेत दिया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य में किसी सैन्य टकराव की स्थिति में पाकिस्तान भारत की सीमावर्ती परिसंपत्तियों कोनिशाना बना सकता है जिनमें गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस रिफाइनरी भी शामिल है। यह परियोजना 2035 तक लागू किए जाने की योजना है।

रण संवाद सम्मेलन में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने त्रि-सेवा एकीकरण की आवश्यकता पर भी बल दिया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह दो दिवसीय इस सम्मेलन के समापन दिवस पर मुख्य संबोधन देंगे। सम्मेलन के दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांतों, प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य और क्षमता संबंधी रूपरेखा को भी जारी किया जाएगा।

यह कार्यक्रम एक तरह का पहला प्रयास है, जिसमें प्रत्येक विषयगत सत्र की अगुवाई सेवारत अधिकारी करेंगे और वे आधुनिक युद्ध क्षेत्रों से प्राप्त अपने प्रत्यक्ष अनुभव साझा करेंगे। यह आयोजन एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय और संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र द्वारा सेना प्रशिक्षण कमान के सहयोग से प्रमुख रक्षा अध्यक्ष के समग्र मार्गदर्शन में किया गया है।

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