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रूस : कलमीकिया में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी, 50 हजार से अधिक श्रद्धालु हुए शामिल

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मॉस्को, 19 अक्टूबर। रूस के कलमीकिया गणराज्य में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी ने इतिहास रच दिया। इस प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए 50,000 से अधिक श्रद्धालु प्रतिष्ठित गेदेन शेडुप चोइकोरलिंग मठ (जिसे ‘शाक्यमुनि बुद्ध का स्वर्ण निवास’ भी कहा जाता है) में पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक थी कि लोगों ने दर्शन के लिए एक किलोमीटर लंबी कतार में खड़े होकर इंतजार किया।

भारत से आई इस प्रदर्शनी को लेकर रूस में असाधारण उत्साह देखा जा रहा है। रूस के संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार तक 50,000 से ज्यादा श्रद्धालु मठ में स्थापित भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों के दर्शन कर चुके हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और रूस के बीच गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक भी बन गया है।

भगवान बुद्ध के इन अवशेषों को भारत की राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है। इन्हें उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा राजधानी एलिस्टा लाया गया। इस प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ भारतीय भिक्षु भी शामिल थे, जो वहां विशेष धार्मिक सेवाएं और आशीर्वाद समारोह आयोजित कर रहे हैं।

यह प्रदर्शनी 11 अक्टूबर से शुरू हुई है और इसमें श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक उत्साह स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। आयोजकों के अनुसार, मठ से करीब एक किलोमीटर दूर तक श्रद्धालुओं की कतारें लगी थीं, जो इस आयोजन की लोकप्रियता और श्रद्धा का प्रतीक है। यह प्रदर्शनी कलमीकिया के विशाल मैदानों में स्थित ‘गोल्डन एबोड’ नामक तिब्बती बौद्ध केंद्र में हो रही है, जो 1996 में स्थापित किया गया था।

अधिकारियों का कहना है कि रूस में इस प्रकार की यह पहली प्रदर्शनी भारत और रूस के बीच प्राचीन सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करती है। यह आयोजन लद्दाख के श्रद्धेय बौद्ध भिक्षु और राजनयिक 19वें कुशोक बकुला रिनपोछे की उस विरासत को भी जीवित करता है, जिन्होंने मंगोलिया में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने और रूस के कलमीकिया, बुरातिया और तुवा जैसे क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के प्रसार में अहम भूमिका निभाई थी।

इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के बीटीआई अनुभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सहयोग से किया गया है। इस आयोजन ने रूस में बौद्ध समुदाय के बीच गहरी आध्यात्मिक एकता और भारत के प्रति श्रद्धा का वातावरण पैदा कर दिया है।

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