आगरा, 5 अगस्त। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और वर्तमान में इटावा से भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया को विशेष मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए कोर्ट ने 12 वर्ष पुराने मामले में 2 वर्ष की कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। सजा के बाद कठेरिया की संसद सदस्यता खत्म हो सकती है।
12 वर्ष पहले टोरेंट अधिकारी के साथ की थी मारपीट
दरअसल यह मामला 16 नवम्बर, 2011 का है। आगरा के टोरेंट पावर लिमिटेड के साकेत माल स्थित ऑफिस में मैनेजर भावेश रसिक लाल बिजली चोरी से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान रामशंकर कठेरिया अपने समर्थकों के साथ उनके कार्यालय में घुस आए और मारपीट शुरू कर दी।
घटना के बाद हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। वादी की तहरीर पर अदालत में आरोप पत्र दाखिल हुआ। रामशंकर कठेरिया और उनके समर्थकों पर धारा 147 और 323 के तहत मामला दर्ज हुआ था। इसी मामले में शनिवार को एमपी एमएलए कोर्ट सांसद को दोषी पाया और 2 वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें आईपीसी की धारा 147 (दंगा) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दोषी माना है।
कठेरिया बोले – ‘कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं, आगे अपील करूंगा‘
रामशंकर कठेरिया ने कोर्ट से सजा मिलने के बाद कहा, ‘मैं कोर्ट के सामने पेश हुआ था। कोर्ट ने मेरे खिलाफ फैसला दिया है। मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं। मेरे पास आगे अपील करने का अधिकार है, जिसका में इस्तेमाल करुंगा।’
गौरतलब है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के मुताबिक, दो साल या उससे ज्यादा सजा के मामले में सांसद या विधायक की सदस्यता रद हो सकती है। इसके अलावा सजा काटने के छह साल के दौरान चुनाव लड़ने पर भी रोक का प्रावधान है। अगर ऊपरी अदालत दोषी करार दिए जाने पर रोक नहीं लगाती है तो संसद सदस्यता जा सकती है।
कठेरिया ने नवम्बर, 2014 से जुलाई, 2016 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था। वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह संसद की रक्षा संबंधी स्थायी समिति और गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य हैं।