नई दिल्ली, 10 अक्टूबर। देश में गहराते जा रहे कोयला संकट के बीच ऊर्जा मंत्रालय ने दावा किया है कि जल्द ही इस संकट को दूर कर लिया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि कोयले के स्टॉक और प्रबंधन की निगरानी करने के लिए गठित कोर मैनेजमेंट कमेटी पूरे उपाय कर रही है।
ज्ञातव्य है कि कोयला संकट होने का सीधा असर बिजली के उत्पादन पर पड़ेगा क्योंकि देश में ज्यादातर राज्यों में बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है। पिछले तीन दिनों से देश में कोयला संकट को लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को यहां तक कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोयला उत्पादन के लिए सिर्फ दो दिनों का कोयला स्टॉक बचा है।
27 अगस्त को गठित की गई थी कोर मैनेजमेंट कमेटी
ऊर्जा मंत्रालय ने कोयले के स्टॉक की निगरानी के लिए गत 27 अगस्त को एक कोर मैनेजमेंट टीम का गठन किया था। यह टीम हफ्ते में दो बार कोल स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन का काम देखती है। इस कमेटी में ऊर्जा मंत्रालय, सीईओ, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड के अधिकारी हैं।
कोयले की खपत और सप्लाई के अंतर में कमी आ गई है
इस कमेटी ने शनिवार नौ अक्टूबर को बैठक की थी। इसमें नोट किया गया कि सात अक्टूबर को कोल इंडिया ने एक दिन में 1.501 मीट्रिक टन कोयले को डिस्पैच किया है, जिससे खपत और सप्लाई के अंतर में कमी आ गई है। अगले तीन दिन में इस डिस्पैच को 1.6 मीट्रिक टन तक पहुंचाने का टारगेट रखा गया है।
कोयला संकट उत्पन्न होने के ये प्रमुख कारण
फिलहाल देश में कोयला संकट क्यों पैदा हुई, इसके पीछे चार कारण बताए जा रहे हैं। मसलन, अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग बढ़ गई है। सितम्बर माह में कोयला खदानों के आसपास ज्यादा बारिश होने से कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ है। विदेशों से आने वाले कोयले की कीमतें बढ़ीं, इससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई। मॉनसून की शुरुआत से पहले कोयले का स्टॉक नहीं रखा गया।